Chudai Ki Masti Mein Dono Tange Chaudi Karke Lund Ghuswaya
मुझे भी अपने कॉलेज के समय में एकलड़के से दोस्ती हो गई थी। उसका नाम राकेश था। हम लोग मिलने के लिये अक्सर एक झील के किनारे आते जाते थे। यूं तो वहा कितने ही जोड़े आतेथे। पर वो सभी अपने आप में व्यस्त रहते थे। हम लोग वहां बस चाट और ठण्ड़ा ही लेते थे और बस यूँ ही बतिया कर चले आते थे। Chudai Ki Masti Mein Dono Tange Chaudi Karke Lund Ghuswaya.
पर हां, मेरे दिल में अब कुछ कुछ होने लगा था। मैं आज से चार साल पहले चुदाई का लुफ़्त उठा चुकी थी, पर फिर मै डर गई थी कि यदि मुझे गर्भ रहजाता तो क्या होता? पर नहीं हुआ। फिर कुछ दिन और चुदाया पर सावधानी रखी। आज फिर दिल में कुछ ऐसा ही हो रहा था। पर आजकल मैं भीऔरों की तरह पिल्स के बारे में जानती थी, और साथ में रखती थी।
एक दिन एक अच्छी अंग्रेजी पिक्चर देखने का राकेश ने प्रोग्राम बनाया । कहता था कि मस्त मूवी है … मजा आ जायेगा। कॉमेडी मूवी थी। मैं उसकामतलब खूब समझ रही थी। वो हॉल में मुझसे खेलना चाहता था। जैसे ही मुझे ये लगा, मेरी चूत में पानी उतर आया। मैं मजे लेने के लिये तैयार थी।मेरी चूंचिया मसलवाने के लिये तड़प उठी। मेरी चूत में कोई अंगुली करे … हाय ये सोच कर मेरा शरीर वासना से भर उठा।
हम दोनों हाल में गये और एक कोने में बैठ गये … कम ही लोग थे। राकेश बहुत ही उत्तेजित लग रहा था। बार बार मूवी की तारीफ़ कर रहा था। मुझेभी लगा कि जरूर मूवी अच्छी ही होगी। मूवी चालू हो चुकी थी। मुझे अंग्रेजी कम ही आती थी सो चुपचाप बैठी रही। सो सब कुछ सर के ऊपर सेनिकल रहा था। जब सब हंसते तो मै भी हंस देती थी। जोश में राकेश मुझे हंसते हुये कभी पीठ पर मार देता था कभी कंधे पर। पर अब तो उसने मेराहाथ भी पकड़ लिया था। मुझे झुरझुरी आने लग गई थी। मैं अपने आप को हर प्रकार से तैयार कर चुकी थी। मुझे लगा कि वो जल्दी से मेरी चूंचियाँदबा दे … हाय राम … मेरी चूत में अंगुली घुसा कर मस्त कर दे … पर मैंने कुछ कहा नहीं, उसका हाथ और मेरा हाथ आपस में मिले हुये थे। वो कभीकभी मेरा हाथ दबा देता था। “Chudai Ki Masti”
अब धीरे से उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख लिया। मुझे दिल में गुदगुदी सी हुई। मुझे लगा कि कुछ ही देर में वो मेरी चूंचियो पर आ ही जायेगा। पर्देपर चूमने का दृष्य चल रहा था। उसने भी मुझे गले से खींच कर अपने पास कर लिया और चुम्मा ले लिया। मै जान कर के उससे चिपक सी गई। हमारेसामने वाला जोड़ा जो साईड में सामने बैठा था, बिना किसी हिचकिचाहट के लड़की के बोबे मसल रहा था और उसे चूम रहा था। मैं तो उन्हीं को देखदेख कर उत्तेजित हो रही थी।
अचानक मुझे अब अपनी चूंचियो पर दबाव मह्सूस हुआ। राकेश का हाथ मेरे स्तन को सहलाने लगा। हाय रे मजा आ गया … मैं झुक कर दोहरी होगई।
“ना करो, राकेश … हाय हाथ हटा लो … ” मैंने भी शरीफ़ लड़की की तरह नखरे दिखाये।
“कामिनी, कितने कठोर है तुम्हारे बोबे … मस्त है यार … ” राकेश वासना भरे स्वर में बोला।
“आह … बस करो … ” मेरी सिसकी निकल पड़ी। पर राकेश कहा मानने वाला था। उसका वो हाथ ऊपर से मेरी ब्रा में घुस गया और मेरी नरम नरम सीचूंचियां मसलने लगा।
उसने दूसरे हाथ से मेरा चेहरा ऊपर कर लिया और अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिये। अब मेरा हाथ भी उसकी जांघो पर रेंगने लगा था। मेरे निपलकड़े हो गये थे और वो उसकी अंगुलियों के बीच में घुमा घुमा कर मसले जा रहे थे।
मेरा शरीर भी वासना से भर उठा। मैंने अपना सीना थोड़ा सा और उभार लिया ताकि वो मेरी चूंचियाँ भली प्रकार से दबा सके। उसका कड़क लंड मेरेहाथों में आ चुका था। मैंने कोशिश करके उसकी ज़िप खोल दी। “Chudai Ki Masti”
पर अन्दर चड्डी के रूप में एक बाधा और थी। जल्दी ही ये बाधा भी मैंने पार कर ली और उसका मूसल जैसा लण्ड पकड़ ही लिया। गरम गरम कड़ाडण्डा, थोड़ा जोर लगाया तो वो पेण्ट से बाहर आ गया।
“हाय रे … ये तो बहुत मोटा है … देखो तो कैसा हो रहा है … ” मैंने सिसकते हुये कहा।
उसके सुपाड़े के सिरे पर चिकनापन लग रहा था, शायद उत्तेजना में उसमें से चिकनाई बाहर आ गई थी। उसने भी अपना हाथ मेरी छातियों पर से हटाकर मेरी चूत पर रख दिया था। मेरी सलवार के अन्दर हाथ घुसा कर मेरी गीली चूत को रगड़ दिया।
“मैं मर जाऊंगी रे … धीरे से करना … ! ” उसका हाथ जैसे ही मैंने अपनी चूत पर मह्सूस किया, उसे धीरे से समझा दिया। मेरी गीली चूत में उसकीअंगुली उतरी जा रही थी, मैंने भी अपनी चूत को थोड़ा सा ऊपर उठा कर उसे अंगुली घुसाने में सहायता की। मेरा जिस्म अब मीठी मीठी गुदगुदी सेभर चुका था।
“कामिनी, चुदोगी क्या … मेरे लण्ड की हालत खराब हो रही है … ” उसकी सांस फ़ूली सी लगी। उसने मेरे मन की बात कह दी। चूत फ़ड़क उठी।
“हां राकेश … चुदने के चूत बेताब हो रही है … पर कैसे … ” सिसकती हुई सी बोली।
“मेरे घर चलें क्या ? वहाँ कोई नहीं है … मस्ती से चुदना … ”
“हां हां … जल्दी चलो … ” और हम दोनों ने खड़े हो कर अपने आप को ठीक किया और हॉल के बाहर आ गये। राकेश वहां से सीधे अपने घर ले गया …मैंने चेहरे पर कपड़ा बांध लिया था कि कोई पहचाने ना … । राकेश ने ताला खोला और हम जल्दी से अन्दर आ गये।
मुझे भी अब लग रहा था कि बस एक बार तबियत से चुद जाऊं तो मेरा जी हल्का हो जायेगा। “Chudai Ki Masti”
उसने मुझे चाय के लिये पूछा पर यहाँ चाय की नहीं चुदाने की लगी हुई थी।
“चाय छोड़ो ना राकेश, चलो बिस्तर पर चलते हैं … ”
“कामिनी … लगता है तुम्हारा बुरा हाल है … मेरे लण्ड को तो देखो , साला पेण्ट ही फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।”
मुझे एकदम से हंसी आ गई। उसने पेन्ट की ज़िप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। पहली बार इतने बड़े लण्ड के दर्शन हुये। मैं जैसे ही आगेबढ़ी, उसने मुझे रोक दिया।
“पहले कामिनी तुम अपने कपड़े उतारो … तुम्हारी फ़ुद्दी देखनी है … ” राकेश ने फ़रमाईश कर दी। मैं शरमा गई।
“धत्त … शरम नहीं आयेगी … ? ” मैंने नारी का धर्म अदा किया।
“शरम नहीं रे … नशा आयेगा तुम्हे नंगी देख कर … लण्ड फ़ड़फ़ड़ायेगा … कड़का कड़क हो जायेगा … ”
“हाय रे … ऐसा मत बोलो … तुम्हारा लण्ड देख कर ही मेरी फ़ुद्दी तो वैसे ही लप लप कर रही है … ”
“तो प्लीज उतारो ना … ” उसने अपना लण्ड मुझे दिखाते हुये मसला। मुझे हालांकि बड़ी शरम आ रही थी पर इस दिल का क्या करूँ, सो झिझकते हुयेमैंने कपड़े उतार ही दिये। पंखे की हवा मेरे नंगे बदन को सहलाने लगी। मैं शरम के मारे नीचे बैठ गई। पर नीचे बैठते ही मेरे चूतड़ उभर कर खिल उठे।दोनों तरबूज सी फ़ांके अलग अलग हो गई। राकेश भी नंगा हो चुका था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड देख कर फ़ूल उठा। उसका तनतनाता हुआ बलिष्ठलण्ड जैसे मेरी चूत को न्योता दे रहा था। “Chudai Ki Masti”
“कामिनी तुम्हारा बदन तराशा हुआ है … जरा दोनो टांगे चौड़ी करो … अपनी फ़ूल जैसी चूत तो दिखा दो … यूँ सिकुड़ कर मत बैठो।”
“हाय … नहीं जी … ऐसे तो सब दिख जायेगा ना … ” फिर भी मैंने हिम्मत करके टांगे चौड़ी करके अपनी गीली चूत खोल दी। राकेश मचल सा पड़ा।
“कामिनी, लड़कियां मुठ कैसे मारती है … मार कर बताओ ना … चूत में अंगुली करती हो ना …? ”
“चलो हटो जी … मुझे क्या बेशर्म समझ रखा है … अच्छा तुम मुठ मार कर बताओ … ”
राकेश ने अपने मोटे से लण्ड की सुपाडे पर से चमड़ी ऊपर हटाई और लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उसे पकड़ कर हाथ ऊपर नीचे चलानेलगा। उसका सुपाड़ा लाल होने लगा और फ़ूलने लगा। मेरे दिल पर छुरियाँ चलने लगी … हाय चूत की जगह मुठ में उसका लण्ड मसला जा रहा था।उसके सुपाड़े पर चिकनाई की दो बूंदें तक उभर आई थी। मेरा हाथ अपने आप ही चूत की तरफ़ बढ़ गया और दाने पर आ गया। उसे मैं हल्के हल्केसहलाने लगी। मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। मेरी अंगुली भी चूत में घुसने लगी।
“हां … हां … कामिनी, और करो … आपकी चूत कैसी लपलपा रही है … ” उसकी आवाज में वासना भरी हुई थी।
मेरे बाल बिखर गये थे, लटें माथे पर लहराने लगी थी। मेरी दोनों टांगें कांपने लगी थी। चूत में अंगुली सटासट अन्दर बाहर जा रही थी। उधर मेरीनजरें राकेश पर पड़ी, वो जोर जोर से लण्ड पर हाथ चला रहा था। उसका सुपाड़ा लाल हो गया था, फ़ूल कर मोटा हो चुका था। उसकी आंखे नशे में बंदसी हो गई थी। हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुठ मारे जा रहे थे। “Chudai Ki Masti”
“हाय, राकेश और जोर से मुठ चलाओ, क्या लण्ड है राम … चला हाथ जोर से … आह्ह्ह्ह्ह”
मैं ज्यों ही उठ कर उसके पास पहुंची,
” कामिनी, ऐसे ही मजा आ रहा है … तुम वहीं जाओ … तुम उधर मुठ मारो ! मैं इधर मारता हूँ … चल घुसा दे फिर से अपनी अंगुली … ” उसकी सांस फूलउठी थी।
वो मना करता रहा पर मैंने जाकर उसके लण्ड को अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके लाल लाल फ़ूले हुये सुपाड़े पर अंगुलियाँ फ़िराने लगी।उसके सुपाड़े को मलने से उसमें से चिकनाई की दो बूंदें और निकल आई। आनन्द में वो डूब रहा था। मुझे ऐसा करते देख उसने मेरी चूंचियों को पकड़लिया और उसे दबाने लगा और निपल को अंगुलियों से हल्के हल्के दबाने और घुमाने लगा। मेरी मस्ती और वासना, मर्द के हाथों से मसले जाने सेऔर बढ़ती गई।
अब वो मेरे निपल जोर जोर से मलने लगा था। मैं नशे में उसके लण्ड को जोर जोर से मुठ मारने लगी थी। मेरे हाथ बहुत ही तेजी से उसके लण्ड परऊपर नीचे हो रहे थे। उसकी सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी। “Chudai Ki Masti”
अचानक उसने मेरी फ़ुद्दी में अपनी दो अंगुलियाँ डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। इस से मेरी उत्तेजना तेजी से बढ़ने लगी, लगा कि चुद रही हूँ।मुख से आह की आवाजें निकलने लगी। शायद राकेश को अहसास हुआ कि यदि ऐसे ही उसका लण्ड मेरे हाथों में फ़िसलता रहा तो उसका वीर्य निकलजायेगा। उसने मुझे नीचे दबा लिया और मुझसे लिपट पड़ा। हमारे नंगे शरीर बिस्तर में आपस में रगड़ खाने लगे।
उसका लण्ड मेरी चूत को ठोकर मारने लगा। मेरा मन सिहर उठा, लौड़ा लेने को आतुर हो उठा। मेरी चूत उसके लण्ड को लपकने की कोशिश कर रहीथी, और अन्त में सफ़ल हो ही गई। उसका लण्ड चूत में समाता चला गया। मेरे मुख से खुशी की सीत्कार निकल पड़ी। राकेश भी तड़प उठा। ऊपर सेउसने अपने शरीर का बोझ मेरे पर डालना आरम्भ कर दिया। मैं दबती गई। आनन्द मेरे जिस्म में भरता गया।
राकेश ने अब अपने चूतड़ ऊपर खींच कर फिर से मेरी चूत पर पटक दिए … उसका लण्ड मेरी चूत में जड़ तक चीरता हुआ घुस गया। मुझे थोड़ा सा दर्दहुआ पर कसक भरी मिठास का अहसास अधिक हुआ।
“और जोर से चोद दे मेरे राजा … हाय … लण्ड़ पूरा घुसेड़ दे रे … मेरी मांऽऽऽऽऽऽ … ” मैं आनन्द से सिसकने लगी।
“ले … मेरी कामिनी … मेरा पूरा लण्ड ले ले … तू तो मजे की खान है रे … ” वो मुझे भींच भींच के चोदने लगा। मेरी चूंचियों की हालत खींच खींच कर खराबकर दी थी। मैं नीचे से जोर से अपने चूतड़ उछल कर लण्ड ले रही थी। साला क्या चूत में गुदगुदी मचा रहा था। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की दीवारोंसे रगड़ता हुआ चोद रहा था। अचानक मेरे शरीर में ऐठन सी हुई और मुझे लगा कि मैं तो गई … ।
तेज मीठी सी आग भड़की और फिर जैसे पानी के ठण्डे छींटे पड़े … मेरा रज छूट पड़ा। मेरी चूत पानी से भरने लगी। मेरी चूत लहरा लहरा कर जोरलगा कर पानी छोड़ रही थी। पर उसका लण्ड था कि मेरी चूत को रोंदे जा रहा था। “Chudai Ki Masti”
मेरे मुख से अब मस्ती की सिसकियां की जगह दर्द की कराह निकल रही थी। इतनी कस कर चुदाई मेरी आज तक नहीं हुई थी। पर आह्ह्ह रे … मेरीचूत में उसके लण्ड ने ठण्डक कर दी। मुझसे लिपटते हुये उसने अपना वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया। मैंने अपने दोनों हाथ फ़ैला दिये और बिस्तर परपसर गई। उसका लण्ड मेरी चिकनी चूत में से फ़िसल कर बाहर आने लगा। उसके सिकुड़ कर निकलने से मेरी चूत में गुदगुदी सी हुई और लण्ड बाहरआ गया। चुदने के कारण मैं मस्ती में बस आंखे बंद करके यूँ ही पड़ी थी। राकेश मेरे ऊपर से हट गया और मेरी चूत पर लगे वीर्य और चिकनाहट कोचाटने लगा। उसके चाटने से मुझे चूत में फिर से गुदगुदी उठने लगी … कुछ ही देर में मुझे फिर से तरावट आने लगी। मैंने राकेश को हटा दिया औरउसके लण्ड पर लगे वीर्य का थोड़ा सा रस चाटने के लिये उसका लण्ड मुख में घुसा लिया और उसे चूसने लगी। कुछ ही देर में उसका लण्ड फिर सेटनटना उठा। मैंने मुठ मारते हुये उसे और उत्तेजित किया। फिर सीधे खड़ी हो गई।
“बस राकेश अब चलें … देखो शाम होने को है … ”
“अच्छा … बस एक किस … फिर तुम्हें छोड़ आता हूँ।” “Chudai Ki Masti”
पर राकेश के मन की इच्छा कुछ और ही थी। मैं जैसे ही पलटी, वो मेरी पीठ से चिपक गया। उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुसने के लिये जोर लगानेलगा।
“अरे नहीं करो राकेश … मुझे लग जायेगी … ”
“नही कामिनी , तुम्हारी गाण्ड गजब की है … बिना मारे मुझे तो चैन नहीं आयेगा !”
मेरी गाण्ड के छेद में लण्ड का घर्षण होने लग गया था। मैंने नाटक करते हुये अपनी दोनों टांगे चौड़ी कर दी। मुझे वास्तव में आनन्द आने लगा था।अभी मेरा गाण्ड का छेद तो प्यासा था ही …
“अरे यार फ़ट जायेगी ना तुम्हारे मोटे लण्ड से … हाय रे धीरे से करो …
आआईईईई … मर गई रे … ”
उसका सुपाड़ा छेद में दाखिल हो चुका था। मुझे बड़ा सुहाना सा लगा। मैंने मुस्करा कर पीछे राकेश को देखा, वो भी खुश था कि उसे एक कॉलेज गर्लकी ताजी गाण्ड मारने को मिल रही थी … हम दोनों ही मस्त हो रहे थे …
पीछे से मेरी गाण्ड चुदी जा रही थी … हम दोनों खुशी में किलकारियां मार रहे थे … अपने चूतड़ों को हिला हिला कर चुदाई का मजा ले रहे थे … मस्तीमें डूबे जा रहे थे “Chudai Ki Masti”