Village Sali Outdoor Fuck
सभी पाठको को मेरा प्रणाम। मैं रोहित 26 साल अच्छा खासा दिखने वाला लौंडा हूं। मेरा लन्ड 6 इंच लम्बा है जो किसी भी चूत की गहराई में उतर कर उसकी बखिया उधेड़ सकता है। मेरे लंड को अक्सर पकी पकाई चुते बहुत पसंद है। ऐसी पकी पकाई चूतें मेरे लंड को बहुत मज़ा देती है। मेने मेरी पिछली कहानी “साली और सलहज को एकसाथ बजाया” में बताया था कि कैसे मैंने मेरी सलहज यानी रवीना भाभीजी और साली जी को एकसाथ बजाया था। Village Sali Outdoor Fuck
साली जी और भाभीजी को बजाने के बाद अगले दिन मै भाभीजी को उनके सुसराल में छोड़ने जा रहा था। भाभीजी मेरे साथ बहुत खुश नज़र आ रही थी। मै भी भाभीजी के साथ बहुत खुश था। तभी साली जी कहने लगी।
“रोहित जी भाभी को टाईम पर घर पर छोड़ देना। कहीं आप लेट नही कर दो।”
“लेट तो नही होने दूंगा साली जी।”
“देख लो। कहीं आप रास्ते में ही भाभी की लेने नही लग जाओ।”
तभी भाभीजी मुस्कुराने लगी “सारिका जी आप भी।”
“भाभी बचाकर रखना रोहित जी से। कहीं आपकी रास्ते में ही नही ले ले।”
“मै नही लेने दूंगी सारिका जी।”
“अभी आप चलो तो सही।”
अब हम चल पड़े। भाभीजी मेरे साथ बाइक पर बैठी हुई थी। मेरा ध्यान बाइक चलाने में था। फिर धीरे धीरे हम दोनो के बीच बाते शुरू होने लगीं। हम घर परिवार की बाते करने लगें। फिर मैने भाभीजी से सुर ताल छेड़ दिया।
“भाभीजी आपकों बजाने में मजा आ गया। बहुत ही रिपचीक माल हो आप।”
तभी भाभीजी मुस्कुराने लगी “अच्छा!”
“हां भाभीजी। मेरा तो फिर से आपकों बजाने का मूड बन रहा है।”
“रोहित जी। रहने दो। अभी तो रातभर आपने हम दोनो ननद भाभी को खूब बजाया है। अब थोड़ा तो सब्र करो।”
“बस सब्र ही तो नही हो रहा है भाभीजी।”
“आपने तो बेचारी सारिका जी को भी खुब ही रगड़ा था। मुझे पता था उनकी हालत बहुत ही खराब हो गई थी।”
“हां भाभीजी। लेकिन मैं भी क्या करता! मै साली जी को पहली बार चोद रहा था तो मैंने ढंग से ही चोद दिया।”
“हूं……वैसे आपका हथियार बहुत ही खतरनाक है। बेचारी मेरी छोटी ननद केसे संहालती होगी?”
“वो भी बहुत चीखती चिल्लाती थी भाभीजी लेकिन अब उसको आदत हो गई है।”
“हां रोहित जी। बेचारी और करेगी भी क्या!”
बाइक चलती जा रही थी। भाभीजी और मै बातो में बिजी हो रहे थे। भाभीजी बार बार मेरी बॉडी से रगड़ खा रही थी। अब मेरा लंड बार बार खडा होने की कोशिश कर रहा था लेकिन मैं मेरे लंड को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था।
“आप बताओ भाभीजी। आपको मेरे हथियार की आदत हो गई ना अब तो या अब भी आपका छेद छोटा पड़ता है।”
“नही रोहित जी। आपने तो मेरे दोनो छेद अच्छी तरह से खोल दिए।”
“कोई कमी रह गई हो तो बता दो आप तो। अभी भी मौका है। मै आपकी सारी कमी दूर कर दूंगा।”
“नही रोहित जी कोई कमी नहीं रही है।”
“भाभीजी चाहे आपको मेरे हथियार की कमी नहीं खल रही हैं लेकिन मेरे हथियार को आपकी खुशी की कमी खल रही है। एकबार फिर से आपकी खुशी से मिलने की इच्छा हो रही है।”
“रहने दो रोहित जी आप तो। मेरी खुशी की तो पहली से ही हालत खराब है।”
“अभी मेरा हथियार आपकी खुशी की हालत ठीक कर देगा।”
“नही नही आप तो ऐसे ही रहने दो।”
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मै आज फिर से भाभीजी की खुशी लेने की कोशिश कर रहा था लेकिन भाभीजी उनकी खुशी देना नही चाह रही थी। तभी आचानक बड़ा गड्ढा आया और भाभीजी उछल पड़ी तभी बचने की कोशिश मे भाभीजी ने मेरे लंड को पकड़ लिया। तभी मैंने बाइक रोक दी। भाभीजी अब खुद को सम्हालने लगी। वो मेरे लंड को पकड़े हुई थी। मेरा लंड एकदम लोहे का डंडा बना हुआ था। जैसे ही भाभीजी की नजर उनके हाथ पर गई तो भाभीजी ने झट से हाथ हटा लिया। अब भाभीजी बुरी तरह से शरमाने लगी।
“भाभीजी शर्माने की कोई जरूरत नहीं है। आप तो पकड़े रहो।”
तभी भाभीजी मुस्कुराने लगी “रोहित जी आप तो बाइक अच्छे से चलाओ।”
“अच्छे से ही चला रहा था मैं तो लेकिन अब आपने मेरे घोड़े को जगा दिया।”
“तो इसमें आपकी ही गलती है। मेरी कोई गलती नहीं।”
“मै कुछ नहीं जानता। अब तो आपको घोड़ी बनाना ही पड़ेगा।”
“पागल हो क्या रोहित जी। यहां कहां घोड़ी।”
“जगह तो मै सब ढूंढ लूंगा। आप तो घोड़ी बनने के लिए तैयार हो जाओ।”
“मै नही बनूंगी घोड़ी वोड़ी।”
तभी मैंने भाभीजी को वापस बाइक पर बैठा लिया और हम फिर से आगे बढ़ने लगे लेकिन अब भाभीजी को बजाने के लिए मेरा लंड खड़ा हो चूका था। अब मुझसे मेरा लंड कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।
“भाभीजी अब गलती आपने की है तो उसका भुगतान भी आपकों ही करना पड़ेगा।”
“मै कोई भुगतान नहीं करनें वाली।”
“नही भाभीजी। ऐसे नही चलेगा। मै आपके लेकर तो रहूंगा।”
“मै कुछ नहीं देने वाली देख लेना।”
अब भाभीजी मुस्कुरा रही थी। मै भाभीजी को बार बार पटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन भाभीजी अपने हथियार डालने को तैयार नहीं हो रही थी। अब मेरा लन्ड भाभीजी को बजाने के लिए बहुत उतावाला हो रहा था।
“बोलो ना भाभीजी। आपका क्या मूड हैं।”
“मेरा तो कुछ भी मूड नहीं है रोहित जी।”
“सोच लो भाभीजी। फिर ऐसा मौका पता नहीं कब मिलेगा?”
“मिल जायेगा मौका। आप चिंता मत करो।”
“वो तो पता नही कब मिलेगा लेकिन अभी जो मौका मिल रहा है उसका ही फायदा उठा लो ना।”
“नही रोहित जी। रास्ते में बहुत रिस्क होती है।”
“अरे भाभीजी। आए पास बहुत सारे खेत है। अपना काम हो जायेगा।”
“नही रोहित जी। आप तो रहने दो। अगर घर पर मौका मिले तो देख लेना।”
“यार भाभीजी। घर तो मौका नही मिलेगा।”
मै भाभीजी को चुदने के लिए तैयार कर रहा था लेकिन भाभीजी चुदने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। मेरा भाभीजी को चोदने के लिए बहुत ज्यादा मूड बन रहा था। तभी मैने भाभीजी का हाथ पकड़ कर आगे ले लिया और फिर भाभीजी को मेरा लंड पकडा दिया। लेकिन भाभीजी ने हाथ वापस खीच लिया।
“भाभीजी क्या कर रही हो यार। पकड़ो ना।”
“पागल हो क्या रोहित जी। यहां कोई देख लेगा।”
“अरे अभी आगे पीछे कोई नही आ रहा है। आप पकड़ो तो सही।”
“नही रोहित जी। मै नही पकड़ूंगी।”
भाभीजी मेरा लंड पकड़ने के लिए नही मान रही थी लेकिन मैंने फिर से भाभीजी को लंड पकडा दिया। अबकी बार भाभीजी ने शर्म को ताक पर रखकर मेरे लंड को पकड़ लिया। अब भाभीजी खामोश थी और मेरे लंड को पकड़े हुई थी। मै आराम से बाइक चला रहा था लेकिन मेरा लंड अब तूफान मचा रहा था। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
“ये हुई ना बात भाभीजी।”
“आप तो पता नही क्या क्या करवा रहे हो।”
“तभी तो भाभीजी आपकी चूत में आग लगेगी।”
अब भाभीजी चुप हो गई। अब भाभीजी की खामोशी बता रही थी कि अब वो चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है। रास्ते में कोई ज्यादा लोग आ जा नही रहे थे। अब भाभीजी धीरे धीरे मेरा लन्ड मसल रही थी। अब मेरा लंड और ज्यादा खूंखार बन गया था।
“बोलो भाभीजी अब।”
“अब क्या बोलूं रोहित जी। आप बहुत चालू हो।”
“चालू तो मै हूं ही सही। अब आप बताओ। घर पर मौका मिले या नही मिले।”
“आपने तो मुझे मुश्किल में डाल दिया।”
“आपने भी मुझे मुश्किल में डाल रखा था।”
मै भाभीजी से बार बार क्लियर जवाब मांग रहा था लेकिन भाभीजी क्लियर जवाब नही दे रही थी। फिर मैने भाभीजी से फिर से पूछा।
“बोलो ना भाभीजी। क्या करना है?”
“आपको जो करना है कर लो। अब तो मैं भी अपने आप को नही रोक सकती।”
“हां भाभीजी। मै भी आपसे यही चाहता था।”
अब मैं भाभीजी को बजाने के लिए खेत ढूंढने लगा। बाइक चल रही थी। तभी मैंने सही जगह देखकर बाइक रोक दी और आस पास देखकर मैं भाभीजी को सरसो के खेत के अन्दर ले जानें लगा।
“रोहित जी यार कोई देख लेगा ना।”
“कोई नही देखेगा। आप चिंता मत करो।”
“ध्यान रखना कही खेत वाला नही आ जाए।”
“अरे भाभीजी आप चिंता मत करो। आपको चुदाना है ना?”
“हां रोहित जी। तभी तो देखो ना। आपके साथ खेत में घुस गई।”
“बस तो बस। अब आप सारी टेंशन छोड़ दो।”
मै भाभीजी का हाथ पकड़ कर उन्हे खेत के अन्दर ले जा रहा था। भाभीजी मेरे साथ खींची चली आ रही थी। बड़ी बड़ी सरसो में हम आगे बढ़े जा रहे थे। थोड़ी देर में ही हम खेत के बीच में पहुंच गए।
“यही सही है रोहित जी।”
“हां रवीना।”
तभी भाभीजी मेरी तरफ़ देखने लगी “भाभीजी से सीधी रवीना।”
“हां भाभीजी। अब तो आप मेरी रानी बन चुकी हो ना।”
तभी भाभीजी चुप हो गई। अब मैंने भाभीजी को झट से नीचे पटक दिया। भाभीजी के नीचे गिरते ही सरसो के पौधों ने भाभीजी के लिए बिस्तर बिछा दिया। कई सरसो के पौधे टूटकर भाभीजी के लिए बिछौना बन चुके थे। अब मैं तुरंत भाभीजी के ऊपर चढ़ गया और उनके रसीले होंठो पर ज़ोरदार हमला कर दिया।
अब मैं भाभीजी के होंठों को भूखे शेर की तरह चुस रहा था। मुझे भाभीजी के होंठ चूसने में बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। सरसो के खेतो के बीचोबीच पुच्च ऑउच्च पुच्च पुच्च ऑउच्च की ज़ोर ज़ोर से आवाज़े आ रही थी। अब भाभिजी भी मेरा साथ देते हुए मेरे होंठो को खा रही थी।
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अब हम दोनों चुदाई के नशे में डूब रहे थे। हमारे जिस्मो की प्यास को आस पास के पौधे, पक्षी देख रहे थे। फिर कुछ देर में ही मैंने भाभीजी के होंठों को बुरी तरह से निचोड़ डाला। अब मैं भाभीजी के गौरे चिकने गले पर किस करने लगा। अब भाभीजी आतुर होने लगी। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाये!
वो कभी तो सरसो के पौधों को मुट्ठियों में कस रही थी तो कभी मुझे बाहो में भरने की कोशिश कर रही थी। मैं उनके गले पर ताबड़तोड़ किस कर रहा था। अब मैंने भाभीजी के स्वेटर को खोल दिया और फिर भाभीजी की साड़ी के पल्लु को हटा दिया। अब मैं बलाउज के ऊपर से ही भाभीजी के बड़े बड़े मोटे मोटे बोबो को दबाने लगा। “Village Sali Outdoor Fuck”
“ओह रवीना, तेरे आम तो बहुत बड़े बड़े लग रहे है। आहा।”
अब मै भाभीजी बूब्स को जोर से दबा रहा था। भाभीजी दर्द से कराह रही थी।
“ओह्ह्ह सिस्सस्स्स आईईईई उन्ह्हह् आराम से रोहित आईईईई आईईईई सिस्स्स्।”
“ओह्ह्ह रवीना। बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह्ह्ह्ह।”
फिर मैंने थोड़ी देर तो ब्लाऊज़ के ऊपर से ही भाभीजी के बोबे दबाये और फिर मैंने भाभीजी के बलाउज के हूक खोल दिए। फिर मैंने भाभीजी की ब्रा को ऊपर सरकाकर भाभीजी के बोबो को नंगा कर दिया। भाभीजी के बोबो को देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया। भाभीजी ने तुरन्त आंखे बंद कर ली। अब मैं भाभीजी के बोबो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
“ओह रवीना बहूत शानदार आम है। आहा।”
“उह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह सिस्स्स आईईईई ओह्ह्ह मम्मी।”
“ओह्ह्ह्ह रवीना आह्ह्ह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है। आहा।”
तभी मैंने भाभीजी के पपीतों को ज़ोर से मसल दिया। भाभीजी के बड़े बड़े पपीते बड़ी मुश्किल से मेरी पकड़ में आ रहे थे। मैं उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था। अब भाभीजी दर्द से कसमसाने लगी थी।
“ओह आहहह सिसस्ससस्स आहाहाह आहाहा उँह धीरे………….धीरे।”
“ओह मेरी जान अब मै इन्हें कैसे धीरे धीरे दाबाउं?”
भाभीजी दर्द से कसमसा रही थी। वो सरसो के पौधो को मुट्ठियों में भीच रही थी। सरसो के पौधे, कलरव करने वाले पक्षी ये सब देख रहे थे। । फिर मैंने थोड़ी देर में ही भाभीजी के बोबो को बुरी तरह मसल डाला। अब मैने भाभीजी के बोबो को मुंह में भरा और फिर उन्हें चूसने लग गया।
“ऊंह रवीना मजा आ गया आहा।”
“चूस ले साले कुत्ते। ओह्ह्ह सिस्स्स।”
आह! बहुत ही टेस्टी लग रहे थे भाभीजी के बोबे। मैं उन्हें बुरी तरह से चुस रहा था। भाभीजी मेरे बालो में हाथ डालकर उन्हें सहला रही थी। मै भाभीजी के बोबो को निचोड़ निचोड़कर चुस रहा था। भाभीजी के बोबो को चूसने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। “Village Sali Outdoor Fuck”
“ओह रवीना! बहूत ही मीठे आम है।”
“हां भेन के लोडे। आहा ऊंह खूब जमकर चूस तेरी रानी के बूब्स। आहा। मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।”
“हां साली। खूब चुसूंगा। आहा।”
“चुस ले जितना चूसना चाहता है। बुझा ले तेरी प्यास।”
मैं भाभीजी के बोबो को झमाझम चुस रहा था। सरसो के पौधे मुझे भाभीजी के बूब्स चूसते हुए देख रहे थे। भाभीजी को भी बोबे चुस्वाने में मज़ा आ रहा था। मै भाभिजी के बोबो को बुरी तरह से रगड़ रहा था। अब इधर। मेरा लण्ड भाभीजी की चूत मांग रहा था।
मै भाभीजी के बोबो की लंका लुट रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक भाभीजी के बोबे चूसे। अब मेरा लंड भाभीजी की चूत का स्वाद चखना चाहता था। अब मैं नीचे आ गया और भाभीजी की चड्डी उतार फेंकी। अब मैंने भाभीजी की चूत में लंड सेट कर दिया और फिर भाभीजी को बजाने लगा। तभी भाभीजी मेरे लंड के तूफान में उड़ने लगीं।
“आईईईईई मर्रर्रर्रर्र गईईईई। आईईईईई ओह रोहित जी बहुत दर्द हो रहा है। आईईईई आईईईईई।”
“होने दे साली। आहा बहुत मजा आ रहा है तूझे बजाने मे।”
“आहा आईईईई ऊंह ओह्ह्ह्ह आईईईई आईईईई ओह्ह्ह साले कमीने। आहा आईईईई।”
“ओह्ह्ह् साली कामिनी।”
अब मैं भाभीजी की टांगे पकडकर ज़ोर ज़ोर से भाभीजी की चूत में लण्ड ठोक रहा था। भाभीजी को बहूत ज्यादा दर्द हो रहा था। सरसो के पौधे भाभीजी की ठुकाई के गवाह बन रहें थे। वो बुरी तरह से झल्ला रही थी। मैं भाभीजी को दे दना दन चोद रहा था। अब ऊपर से मेरा लंड भाभीजी को जमकर चोद रहा था और नीचे से खेत की मिट्टी, सरसो के पत्ते भाभीजी के जिस्म को रगड़ रहे थे। “Village Sali Outdoor Fuck”
“आईईईई आईईईई आईईईईई आह्ह आह्ह अहाह आईईई मम्मी आहा आह्ह्ह।”
“ओह्ह्ह साली आहा बहुत मजा आता है तूझे चोदने में। आहा।”
“बजा ले साले मेरे गुलाम। आहा आईईईई ऊंह ओह्ह्ह्ह सिस्सस्स।”
“हां साली मेरी रानी।”
मेरे मोटे तगड़े लण्ड की ठनक से भाभीजी की जान हलक में आ रही थी। आस पास के पक्षी भाभीजी की चूदाई देख रहे थे। भाभीजी को चोदने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। मेरे लण्ड के हर एक झटके के साथ भाभीजी बहुत बुरी तरह से हिल रही थी। उनकी छोटी से चूत पर मेरा मोटा तगड़ा लण्ड बहुत भारी पड़ रहा था।
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“आईईईईई आईईईईई मर्रर्रर्र गईईईई ओह मम्मी। आईईईईई आईईईईई आईईईईई धीरेरे…… धीरेरेरे।”
“ओह्ह्ह्ह साली आहा बहुत मजा आ रहा है। आहा।”
“आईईईई आईईईई ओह्ह्ह आहा आहा।”
मै कड़ाके की सर्दी में भाभीजी को जमकर चोद रहा था तभी भाभीजी पसीने में भीग गई और भाभीजी का पानी निकल आया। भाभीजी की चीखे आस पास के पक्षी, सरसो के फूल और पौधे सुन रहे थे। पक्षि और सरसों के फूल, पौधे भाभीजी की ताबड़तोड़ चुदाई को देखने के साक्षी बन रहे थे। “Village Sali Outdoor Fuck”
“आहा आईईईई ओह्ह्ह्ह सिस्स्स आहा आईईईई ओह्ह्ह्ह आहा। आईईईई। ओह्ह्ह साले कमीने मेरा पानी निकल गया। आहा आईईईई ऊंह सिस्सस।”
“ऐसे ही पानी निकलेगा साली तेरा तो।”
मेरा लण्ड भाभीजी की चूत में झमाझम अंदर बाहर हो रहा था। भाभीजी का चुद चुदकर हाल बेहाल हो रहा था।
“आईईईईई आईईईईई सिसस्ससस्स मरर्रर्र गाईईई आज तो आह्ह आहहह आह्ह सिसस्ससस्स।”
“ओहह साली हरामजादी आहा बहुत ही मस्त माल है तू। आह।”
“मस्त माल की तू जमकर ले रहा है कुत्ते।”
“हां तो लूंगा ही साली।”
तभी भाभीजी मेरे लण्ड के कहर को ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाई और फिर भाभीजी फिर से पानी निकल गया। पानी निकलते ही भाभीजी बुरी तरह से पसीने में नहा चुकी थी। मैं अभी भी भाभीजी को जमकर चोद रहा था। आज मैं भाभीजी के जिस्म का पुर्ज़ा पुर्ज़ा हिला देना चाहता था।
“आहाहा आह्ह आह्ह आह्ह सिससस्स उन्ह ओह आह्ह आह्ह आईईईई।”
फिर मैंने भाभीजी को बहूत देर तक ऐसे ही बजाया। अब मैं भाभीजी की साड़ी खोलने लगा तभी भाभीजी मना करने लगी।
“रोहित जी यार ऐसे ही बजा लो ना।”
“रवीना ऐसे तो मुझे मजा ही नही आता।”
“यार बहुत सर्दी लग रही है।”
“आपकी सर्दी को मै सब दूर भगा दूंगा। आप चिंता ही मत करो।”
तभी मैंने भाभीजी की साड़ी खोल दी और फिर उनके पेटिकोट को भी खोल फेंका। अब भाभीजी नीचे से पुरी नंगी हो चुकी थी। सरसो के पौधे और पक्षी भी भाभीजी की जवानी को देख रहे थे। भाभीजी की चिकनी टांगें बहुत मस्त लग रही थी। अब मैं भाभीजी की चिकनी टांगों को किस करने लगा। तभी भाभीजी कसमसाने लगी। “Village Sali Outdoor Fuck”
“ओह्ह्ह सिस्स्स ऊंह उह्ह्ह।”
मुझे भाभीजी की गोरी चिकनी टांगों को किस करने में बहुत मजा आ रहा था। भाभीजी कसमसा रही थी। वो सरसो के पौधों को.
“ओह्ह्ह्ह सिस्स्स ऊंह आहा।”
फिर मैं किस करता हुआ भाभीजी की चूत तक पहुंच गया। अब मैंने भाभीजी की चिकनी टांगों को मेरे कंधों पर रखा और भाभीजी की चूत में उंगलिया घुसा दी और फिर मैं ज़ोर ज़ोर से भाभीजी की चूत में उंगली करने लगा। अब भाभीजी सिस्कारिया भरने लगी। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
“ओह आह्ह सिससस्स उन्ह ओह आह्ह सिसस्ससस्स आहाहाह।”
“ओह्ह्ह्ह रवीना। बहुत आग लगी है तेरी चूत में तो।”
“ओह्ह्ह्ह्ह मम्मी। आहा आईईईई सिस्सस ऊंह ओह्ह्ह्ह।”
मैं भाभीजी की चूत में उंगलिया घुमा घुमाकर भाभीजी की चूत को खोद रहा था। भाभीजी बहुत ज्यादा तड़प रही थी। वो सरसो के पौधों को मुट्ठियों में कसकर मसल रही थी। मुझे भाभीजी की चूत में उंगली करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“उन्ह सिससस्स ओह मम्मी। सिसस्ससस्स आह्ह आह्ह ओह उन्ह सिसस्ससस्स।”
“ओह भेन की लोड़ी। बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है।”
मैं झमाझम भाभीजी की चूत में ऊंगली कर रहा था। अब दर्द के मारे भाभीजी की हालत खराब हो रही थी। वो बहुत बुरी तरह से कसमसा रही थी। सरसो के पौधे भाभीजी की चूत की खलबली का मजा ले रहे थे।
“आईईईई आईईईई ओह्ह्ह्ह साले कुत्ते मत कर। आहा आईईईई आईईईई।”
“मै तो करूंगा साली।”
मै जोर जोर से भाभीजी की चूत में उंगलियां पेल रहा था। तभी भाभीजी खुद को नहीं रोक पाई और उनका पानी निकल गया। अब मैने झट से भाभीजी की चूत पर मुँह रख दिया और अब मैं भाभीजी की नदी में से बहते हुए पानी को पीने लगा।
“ओह्ह्ह्ह मम्मी आह्ह्ह्ह सिस्स्स।”
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आहः! बहुत ही नमकीन पानी था भाभिजी का! मैं तो सबड़ सबड़कर भाभीजी का पानी पी रहा था। अब भाभीजी मेरे सिर को पकड़कर आँखे बंद किये हुए थी। मैं उनकी चूत को पूरा मज़ा लेकर चाट रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक भाभीजी की चूत चाटी।
“आह मजा आ गया भाभीजी। बहुत ही मीठा पानी है आपका.”
तभी भाभीजी शर्म के मारे पानी पानी हो गई। फिर मैंने भाभीजी की टांगो को पीछे मोड़कर उन्हें फोल्ड कर दिया। अब मैं खड़ा होकर भाभीजी को बजाने लगा। अब मेरा लण्ड भाभीजी की चूत में एकदम सीधा घुस रहा था। भाभीजी को बहुत दर्द हो रहा था। “Village Sali Outdoor Fuck”
“ओह आहाहाह सिससस्स उँह ओह आह्ह अहाहः सिससस्स ओह आह्ह।”
“ओह्ह्ह्ह साली आहा।”
अब मुझे भाभीजी को फोल्ड करके बजाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं ज़ोर ज़ोर से भाभीजी की चूत में लण्ड ठोक रहा था। भाभीजी बहुत बुरी तरह से ठुक रही थी। मै उनकी चूत में जमकर लंड डाल रहा था।
“आहा आईईईई मम्मी ओह्ह्ह्ह आईईईई आईईईई आह्ह्ह्ह्ह सिस्सस्स।”
“ओह्ह्ह्ह रवीना। आह्ह्ह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है।”
“आईईईई आईईईई आहा आईईईई ऊंह आहा आईईईई।”
मै भाभीजी को फोल्ड कर सरसो के खेत में जमकर चोद रहा था। भाभीजी की टांगे उनके सिर से होती हुई पीछे मुड़ी हुई थी। मेरा लंड भाभीजी की चूत में एकदम तीखा वार कर रहा था।
“आईईईई आईईईई ऊंह ओह्ह्ह्ह सिस्स्स।”
तभी भाभीजी मेरे लंड की ठुकाई से खुद को कंट्रोल नही कर पाई और भाभीजी का पानी निकल गया। अब मेरे लंड की ठुकाई से सरसो के खेत में फचाक फचाक फचाक़ की आवाजे गूंजने लगी।
“आहा आईईईई सिस्स्स आहा ऊंह।”
फिर मैंने भाभीजी को बहुत देर तक ऐसे ही बजाया।
“ओह्ह्ह रोहित जी। आपने तो मेरी हालत ही खराब कर दी।”
“क्या करूं भाभीजी आप वो ही इतनी मस्त माल।”
अब मैं फिर से भाभीजी के बूब्स पर टूट पड़ा। मै कसकर भाभीजी के बूब्स चुसने लगा। सरसो के पौधे मुझे भाभीजी के रसदार बूब्स को चूसते हुए देख रहे थे। भाभीजी मेरे बालो को सहला रही थी।
“ओह्ह्ह सिस्सस्स ऊंह कमीने आह्ह्ह्ह चूस ले मेरे बूब्स को ऊंह बहुत रस भरा है इनमे। आहा।”
“ओह्ह्ह भैँन की लोड़ी। अह्ह्हा बहुत प्यासा हूं मैं।”
“बुझा ले तेरी प्यास कुत्ते।”
मैं सरसो के हरे भरे खेत में भाभीजी के बूब्स की लंका लुट रहा था। भाभीजी उनके रसदार खजाने को लुटा रही थी। मै भाभीजी के खजाने को जमकर चूस रहा था। भाभीजी बूब्स चुसाने के लिए बहुत आतुर हो रही थी। “Village Sali Outdoor Fuck”
“खूब दबा कर चूस साले हरामी।”
मैं मस्त होकर सरसो के खेत में भाभीजी के बूब्स का मजा ले रहा था। फिर मैने थोडी देर में ही भाभीजी के बूब्स को बुरी तरह से चूस डाला। अब मैंने भाभीजी को मेरे ऊपर चढ़ा लिया। तभी भाभीजी मेरे ऊपर टूट पड़ी। अब भाभीजी जमकर मेरे होठों को खाने लगी। अब सरसो के खेत में फिर से आउच पुच्छ आउच पुच्छ की आवाजे गूंजने लगी।
भाभीजी पागल सी होकर मेरे होठों को चूस रही थी। भाभीजी के खुले बालों में सरसो के फूल अटके हुए थे। खुले बालों में भाभीजी बहुत सैक्सी लग रही थी। तभी मैंने उनके जिस्म पर अटके ब्लाउज और ब्रा को खोल फेंका। अब भाभीजी पूरी नंगी हो चुकी थी। अब मैं उनकी मदमस्त पीठ को सहला रहा था।
“ओह्ह्ह भाभीजी बहुत सैक्सी हो आप। आहा।”
सरसो के पौधे भाभीजी की कलाकारी को देख रहे थे। अब भाभीजी किस करती हुई मेरे लंड पर पहुंच गई। अब भाभीजी ने मेरा लण्ड पकड़ा और मुंह में लेकर चूसने लग गई। भाभीजी आज पूरी बेशर्म होकर मेरे लण्ड को चुस रही थी। आज मैं भाभीजी की दबी हुई काम वासनाओं को भड़का रहा था। आज भाभीजी बहुत ज्यादा चुदासी लग रही थी।
“ओह साली आह बहुत अच्छा लग रहा है। आह आह और चुस आह आहा। पी जा मेरे लण्ड को। आहा आह।”
“हां साले चूस रही हूं। बहुत मजा आ रहा है साले।”
“हां साली।”
अब भाभीजी को बहुत ज्यादा जोश चढ़ चूका था। वो फुल स्पीड में झमाझम मेरा लण्ड चुस रही थी। मैं भाभीजी के बालो को पकडे हुआ था। भाभीजी को लण्ड चुसाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। भाभीजी ज़ोर ज़ोर से मेरा लण्ड चुस रही थी। सरसो के पौधे, फुल आज भाभीजी के सेक्सी अंदाज को देख रहे थे। फिर थोड़ी देर में ही भाभीजी ने मेरे लंड को चूस चूसकर लॉलीपॉप बना दिया। “Village Sali Outdoor Fuck”
“मजा आ गया रोहित जी।”
“हां भाभीजी। आज तो आपने कमाल ही कर दिया।”
“हां रोहित जी। अब मैं थोड़ी देर आपके लंड की सवारी कर लेती हूं।”
“हां रवीना कर ना।”
अब भाभीजी ने मेरे लंड पर चूत रखी और उसमे लंड सेट कर लिया। अब भाभीजी उछल उछल कर चूत में लण्ड लेने लगी।
“आह आह आह अआईईई अआईईई उन्ह आहा बहुत मजा आ रहा है साले कुत्ते।”
“खूब मजा ले साली।”
“हां साले। ले रही हूं मजा। आहा आईईईई ऊंह आईईईई।”
“खूब जमकर चुद साली।”
“हां ओह साले कुत्ते बहुत बड़ा खिलाडी है तू।”
“आह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है आज चुदने में। बहुत सालो के बाद मैं इतनी अच्छी तरह से चुद रही हूँ। आह आह आहा।”
अब भाभीजी और झटके लगा लगाकर चुदने लगी। वो फूल स्पीड में लंड ले रही थी। भाभीजी के हर एक झटके के साथ ही भाभीजी के बोबे ज़ोर ज़ोर से हिल रहे थे। आज भाभीजी को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। खुले बालों में भाभीजी बहुत सैक्सी हॉट लग रही थी। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
कामुकता हिंदी सेक्स स्टोरी : पति का लंड घंटो चूसा पर खड़ा नही हुआ
“आह आह आहा उँह आह अआईईई अआईईई।”
“ओह्ह्ह्ह रवीना बहुत मस्त माल है तू।”
भाभीजी के झटको के साथ सरसो के पौधे बहुत ज्यादा हिल रहें थे। ऐसा लग रहा था जैसे सरसो के पौधे भाभीजी के झटको से शरमा रहे हों। भाभीजी खुब उछल उछल कर चुद रही थी। भाभीजी के जोरदार झटको से उनका गौरा चिकना जिस्म पसीने में भीग चूका था।
“आईईईई आईईईई ऊंह उह्ह्ह्ह सिस्सस्स।”
तभी भाभीजी ने मुझे ज़ोर से कस लिया और कुछ ही देर में उनकी चूत के गरमा गर्म रस में मेरा लण्ड भीग गया। भाभीजी पानी पानी हो चुकी थी। अब मैंने भाभीजी को मेरे सीने से चिपका लिया। फिर थोड़ी देर बाद भाभीजी की चूत ठंडी हुई। अब मैंने भाभीजी को वापस सरसो के बिस्तर पर पटक दिया और उनकी चूत में लंड सेट कर दिया। कहानी जारी रहेगी… आपकों मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं – ajaywriter22@gmail.com
Rohit says
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