Padosan Bhabhi Ki Antarvasna Mitai Unke Chhar Par Jakar
मैं सौरभ कुमार हूँ, मैं ओडिशा का रहने वाला हूँ । मैं 5’६ फुट और मेरा रंग थोड़ा सावला है। मुझे चुदाई के कहानी पढ़ना बहोत पसंद हैं ये मेरा एक हॉट सेक्सी अकेली भाभी के साथ चुदाई की कहानी है। येह मेरा दुशरा कहानी है इस पेज पैर, उम्मीद है आप सबको यह कहानी पसंद आएगा। यह कहानी मे मुख्य पात्र हैं मेरे पड़ोस मे रहने वाली एक मर्दो को आकर्षित करने वाली हॉट भाभी उनके नाम है रेशमा, वह करीब २३-२५ साल की होंगी और वह ५’५ फ़ीट के साथ साथ एकदम गोरा बदन, उनकी शरीर की बनावट ३२-२८-३० हैं और साथ मे ६-७ साल के एक बच्चे की माँ भी थी। Padosan Bhabhi Ki Antarvasna Mitai Unke Chhar Par Jakar.
वह भाभीके साथ मे उनके सासु माँ रहती थी और पति काम मे हमेशा घर से बाहार रहते थे। जब भाभी घर मे अकेली हो जाती थी वह अपने घर के काम ख़तम कर के हमारे घर आती थी और मेरे मम्मी के साथ बात कर के उनके बीटा जब तक स्कूल से नहीं लौट जाता था तब तक वह हमारे घर मे रहते थे। कभी कभी उनके बचा स्कूल से लौटने के बाद गाड़ी से उतर के सीधा हमारे घर आ जाता जाता था और भाभी की ब्लाउज को खींच के उनके चुची को चूस के बड़े प्यार से दूध पिने लगता था, एक दिन की बात है मैं घर के किसी काम वजह से बहार गया हुआ था और मम्मी वो भाभी के साथ गप्पे मर रहे थे।
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उनके बचा स्कूल से आ चूका था और उस दिन भाभी सलवार कुर्ती मे आयी थी तोह उनके बेटे ने ज़िद करने पर उन्होंने अपनी कुर्ती पूरी उतार कर ब्रा के हुक निकाल के दोनों चुची को दिखा के दूध पीला रहे थे, तब मेरा काम जल्दी ख़तम हो जाने से मैं घर वापस आ गया। तब जो देखा मैं देख के भाभी के चुची के फैन बन गया, मैं भाभी की ऊपर से कोई भी टॉप और ब्रा के बिना भाभी मनो चुदाई ककु देवी लग रही थी। मेरा तोह चुदाई के अनुभव मेरे मामी के साथ करने के बाद से बढ़ गया था और अब जो कोई भी भाभी, आंटी, दीदी जो कोई भी बस मिल जाये तोह उनके पेलने का एहसास बस मन ही मन मे जाग जाता था और उनके जिस्म के साथ कैसे मैं अपना काम वासना कर के उनको मैं रात भर अपने निचे लेटा कर पूरी रात भर उनके जिस्म के साथ चुदाई का खेल खेलना चाहता था।
पर मामी के बाद अब भाभी की बरी थी और भाभी की चुची से अभी भी दूध निकल रहा था तोह मैं एक बार उनकी चुची को निचोड़ के दूध को पि के उसका स्वाद का मज़ा लेना चाहता था। मैं भाभी की नंगी वक्ष को देख के अपने कमरे में चला गया और भाभी के बारे मे सोच के मैं हस्तमैथुन कर के अपना लंड को शांत किया। मैं जब फ्रेश हो के मेरे कमरे से बहार आ के देखा तो भाभी कपडे पेहेन कर अपने घर जा चुकी थी, पर भाभी जहाँ पे बैठी थी वहां पे एक पर्ची मुझे मिला जिसमे एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था। मैं वह नंबर किसका है जानने के लिए उस नंबर को मेरे मोबाइल से कॉल किया। उस तरफ एक मधुर आवाज़ मे एक लड़की ने जवाब दिया, मुझे ऐसा महसूस हुआ की वह आवाज़ भाभी की है। मैं तुरंत कॉल को काट दिया और रात होने का इंतज़ार किया।
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रात को घर वाले खाना खा के सो जाने के बाद मैंने उसी नंबर पे कॉल लगाया कुछ देर बाद वही मीठी आवाज़ मे उधर से हेलो कौन है सुनाई दिया। मैं- जी आप कौन? भाभी- अपने मुझे कॉल लगाया है पहले अपने पहचान दो! मैं- जी मैंने आपका नंबर मेरे घर पर सोफे के पास पर्ची में मिला। भाभी- अच्छा तोह आप हमारे पड़ोस मे रहने वाले देवर जी हो, आखिर आपको मेरी नंबर मिल ही गया। मैं- जी आपको मुझे कोई काम था क्या? भाभी- हाँ, वह काम बस तुम ही सायद पूरा कर सकते हो, तुम्हारे अलावा और कोई मेरी मदद नहीं पायेगा। मैं- ठीक है भाभी जी क्या काम था बताओ, मैं कर दूंगा। भाभी- कभी फुर्सत मे मिलने पर मैं तुम्हे वह काम करने को बोलूंगी। मैं- ठीक है, आपकी मर्ज़ी जब ज़रूरत पड़े मुझे बिना झिझक के आप मुझसे बोल सकते हो।
मैं बस एक मौका ढूंढ रहा था भाभी के नज़दीक जाने को तोह वह पल अपने आप भाभी ने ही सेट कर दिया, कुछ दिन ऐसा चला भाभी के साथ धीरे धीरे आमने सामने बातचीत शुरू हुआ और भाभी मुझ पे अपनी नज़र टिकाये रखती थी और मेरा नज़र उनकी वक्ष पे हर बात पी घूम फीर के अटक जाता था। भाभी ने मुझे बहोत पर पकड़ लिया था पर मैं भाभी के चेहरा को देखने के बाद अपना नज़र इधर उधर घुमा देता था । एक दिन की बात है मेरे घर वाले पापा के दोस्त का बेटे का शादी था तोह २ दिन के लिए चले गए थे, जाते जाते मम्मी ने भाभी को मेरा खाने पिने का ख्याल रखने को गुज़ारिश किये थे। मैं अपना क्लास ख़तम कर के जल्दी घर आ गया कुछ देर बाद भाभी ने घंटी बजाये तो मैंने जा के दरवाज़ा खोला तो तब भाभी एक बैकलेस साड़ी मे पूरा मस्त माल लग रही थी।
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मैंने बोलै आज मम्मी नहीं है बोलै था की भाभी ने तुरंत जवाब दिया की आंटी ने ही मुझे २ दिन के लिए तुम्हारा ख्याल रखने को बोले थे तोह इसलिए आयी हूँ। मैंने ठीक है बोल के भाभी को अंदर बुलाया भाभी अंदर आने के बाद दरवाज़ा बंद कर दिया। हम दोनों सोफे पे बेथ के कुछ देर अपने बारे मे बात किया। उसके बाद भाभी सीधा मुद्दे की बात करने लगी। भाभी- क्या बात है सौरभ कॉलेज मे आपके कितने गर्ल फ्रेंड है? मैं- क्या भाभी जी हम जैसे लड़को को कौन लकड़ी हमे बॉय फ्रेंड बनाएंगे? भाभी- तुम दिखने मे तोह ठीक ठाक हो, तोह फिर गर्ल फ्रेंड बानी क्यों नहीं? मैं- क्या करू भाभी कोई ढंग की लड़की नहीं मिली है। भाभी- अच्छा जी, आपको कैसी लड़की पसंद है? मैं- थोड़ा शरमाते हुए मज़ाक मे बोला भाभी जी बिलकुल आपके जैसे। भाभी- ठीक है, अगर मैं तुम्हारी गर्ल फ्रेंड बनूँगी तो क्या तुम करोगे? मैं- बस ऐसा हुआ तो आपको मैं हमेशा खुस रखूँगा भाभी।
भाभी- ठीक है, आज से मैं तुम्हारे भाभी नहीं हूँ मेरी नाम से रेस्मा बुलाओगे। और तुम देवर नहीं मेरा बॉय फ्रेंड हो। अब जब हम दोनों बॉय फ्रेंड गर्ल फ्रेंड बन गए है और एक दुषरे के बारे मे थोड़ा जान गए है तोह अब सच मे बने हे की उसका परीक्षा होगा। मैं- कैसे परीक्षा भाभी? भाभी- देखते जाओ क्या होता है। इतना बोल के भाभी सीधा किश करने लगी, भाभी की क्या मुलायम होंठ थे मनो जिसे दिन भर चूमने पर भी जी नहीं भरेगा। हमने करीब ५ मिनट्स तक खुल के किश किया उसके बाद भाभी मुझे रोक के बोली की अब हमे अपने कपडे निकालने पड़ेगा, मैं इस पल के लिए कब से इंतज़ार कर रहा था। भाभी अपनी साड़ी मेरे सामने पूरा उतार के अब सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट मे कड़ी थी, वो एकदम सेक्सी गुडिअ की तरह लग रहे थे।
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फिर मैं सब उतार के चड्डी मे आ गया भाभी मेरा खड़ा हुआ लंड को देख के भाभी ने मुझे उनकी ब्लाउज और पेटीकोट को निकालने को बोले तो मैं झट से खोल दिया भाभी की पिंक चूत बिना झाट के थे। भाभी ने बिना शर्माए मेरा चड्डी खींच के मेरा लंड को पकड़ लिया और पकड़ के आगे पीछे करने लगी कुछ ही मिनट में मेरा वीर्य का पिचकारी जा के सीधा भाभी की वक्ष मे गिरा। भाभी थोड़ा शरमाते हुए मेरे थोड़ा बचे हुए बीर्य को मुँह मे डाल के चखने लगी और बोली तुम्हारे रस तोह काफी गाढा है इसे मैं अपनी चूत में लुंगी तोह मेरी प्यास मिटेगी मैंने भाभी को खड़ा किया और उनकी दोनों चूचिओं को दबा के बोला मैं पहले आपके दोनों संतरे के रस पीना चाहता हूँ उसके बाद आपको जन्नत का मज़ा दिलाऊंगा। “Padosan Bhabhi Ki Antarvasna”
भाभी मुस्कुरा के बोली मेरे साथ जो करना चाहते हो जल्दी करो यह मौका बार बार मैं तुम्हे नहीं दे पाऊँगी, मैं भाभी को सोफे के पास ले गया और उन्हें अपने गोद मे उनकी दोनों टांगो को फाड् के बिठाया और उनकी रसीले चूची को चूसना शुरू किया। भाभी के क्या रसीले दूध थे यार मेरा तो उस दिन मन नहीं भरा पर भाभी बहोत गरम हो चुकी थी इसलिए मैं उनकी चूत की गर्मी को मेरे लंड के पानी से शांत करने के लिए मैंने उन्हें १ घंटे तक सोफे पे चुदाई किया और उनकी बेटा आने से पहले भाभी ने मुझे बिना कपड़ो मे ही उनकी दूध से कॉर्न फ्लैक्स बना के खिलाई और भाभी की चुदाई करने से वह काफी खुस लग रही थी।
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उनकी बेटा आने के बाद तोह वोह कपडे पहन के अपनी घर चली गयी और मैं सब बर्तन साफ कर के रात होने का इंतज़ार करने लगा। रात का खाना खा के सरे लाइट्स बंद कर के भाभी की कॉल का बेसब्री से इंतज़ार था, करीब रात के १२-१ बजे भाभी ने कॉल किया और मुझे छत के ऊपर आने को बोली तोह मैं चुपके से छत पे चला गया। तब भाभी अपने जिस्म मे सिर्फ एक टॉवल लपेट के छत के ऊपर आयी थी मैं ज्यादा समय न गवा के उन्हें छत पे चोदने लगा, भाभी जब तक नहीं रोके तब तक उनकी चुदाई किया और अंत मे उन्हों ने घर जाने को बोली तोह दोनों लास्ट में किश कर के अपने अपने घर चले गए। “Padosan Bhabhi Ki Antarvasna”