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Maa Ki Gaand Ki Golai Napi Apne Lund Se

April 28, 2017 by crazy

Maa Ki Gaand Ki Golai Napi Apne Lund Se

दोस्तो, मैं कुनाल आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ! कहानी है मेरी और मेरी माँ की! मैं अभी 24 साल का जवान मर्द हूँ और मेरे लंड का साइज़ 7 इंच, 3 इंच मोटा है। Maa Ki Gaand Ki Golai Napi Apne Lund Se.

अपनी माँ के बारे में भी आपको बता देता हूँ, उसका नाम सविता है, उम्र 46 साल, 5 फुट 4 इंच हाइट, रंग गोरा, शरीर पतला है। उनका फिगर 32-30-34 है, घर में सूट सलवार पहनती है, कभी घाघरा भी डालती है।

अकसर इस उम्र की औरतें मोटी हो जाती हैं और बदन ढीला हो जाता है। मेरी माँ की भी चुची थोड़ी लटक गई है, वैसे भी इतनी बड़ी नहीं हैं, अब आप सोच रहे होगे कि इस साइज़ में मुझे क्या पसंद आया।

दोस्तो, अब मैं आपको जो बताने जा रहा हूँ उसे सुन कर आपका लंड भी सख्त होने लगेगा!
क्योंकि मेरी माँ के चूतड़ 34 के साइज़ के हैं, और इस उमर की औरतों की तरह उनके चूतड़ लटके या फैले नहीं हैं बल्कि बिल्कुल गोल किसी 25 साल की भाभी के जैसे है, और माँ के इन्हीं चूतड़ों का मैं दीवाना हूँ।

 

हिंदी चुदाई की कहानी : Papa Aur Chachi Ki Chudai Dekh Muth Mara

गर्मी के दिन थे, मैं, दादी-दादा बाहर के कमरे में सो रहे थे, छोटा भाई माँ-पापा अंदर के कमरे में सो रहा था।
दोपहर का टाइम था, मेरी आँख खुल गई।

मैंने सोचा कि भाई के साथ खेल लूँ तो अंदर के कमरे की तरफ गया। कमरा अंदर से बंद था, मैंने खिड़की से देखा चारपाई पर माँ नीचे लेटी हुई थी और पापा उनके ऊपर थे, धक्के लगा रहे थे।
मुझे इन सबका अभी थोड़ा ही पता था।

फिर मैं वापिस बाहर के कमरे में आ गया लेकिन मेरे दिमाग़ में बस वही सीन चल रहा था।

कुछ दिन मैं ऐसे ही कोशिश करता रहा कि दोबारा वो सीन देखने को मिल जाए लेकिन नहीं मिला।

थोड़े दिन बाद मेरी मुलाकात मेरे दोस्त के दोस्त से हुई जो स्कूल में 3 बार फेल हो चुका था। उसने एक दिन मुझे चुदाई की कुछ तस्वीरें दिखाई।
मुझे देख कर अच्छा लगा।

कुछ दिन बाद वो मुझे फिर मिला उसने मुझे एक सेक्स स्टोरी पढ़ाई, मुझे बहुत अच्छा लगा।
ऐसे ही मैं हर सन्डे उसके घर जाने लगा और सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा।

उनमें कुछ कहानियाँ परिवारिक रिश्तों पर भी होती थी और मैं और वो पढ़ कर मजा लेते थे। जब घर रहता तो माँ को देखता और उन्हीं कहानियों की तरह मैं माँ को इमेजिन करता कभी अंकल के साथ, कभी फूफा के साथ!

काफ़ी दिन ऐसे ही चलता रहा। इसी बीच में उसने मुझे लंड को हिलाना भी सीखा दिया।

एक दिन मैं एक कहानी पढ़ रहा था, वो कहानी माँ और बेटे के की चुदाई बारे में थी, मुझे वो कहानी पढ़ कर बहुत मजा आया और मेरा मन भी थोड़ा माँ को चोदने का होने लगा लेकिन अभी तक वो फीलिंग नहीं आई थी।

ऐसे ही मैं कहानियाँ पढ़ कर अपना हिलाता था।

एक दिन मैंने एक और माँ बेटे की कहानी पढ़ी, उसे पढ़ कर ऐसा लगा जैसे वो कहानी मेरी माँ के लिए ही लिखी गई हो, वही साइज़ का वर्णन, वैसी ही गांड की बात!
मैं पागल सा हो गया था और पढ़ते पढ़ते ही मेरी छोटा सा लंड पूरा तन गया था।

 

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मैं नीचे आया तो देखा कि माँ अपने कपड़े बदल रही थी, उनके गोरे बदन को देख कर मन किया कि अभी चाट लूँ और अपना लंड अभी माँ के अंदर डाल दूँ।

लेकिन डरता था इसलिए कुछ नहीं किया और बाथरूम में जाकर अपना हिला कर खुद को शांत किया।
अब तो मैं बस माँ के ही ख्याल ले के अपना हिलाने लगा।

एक बार माँ दोपहर में सो रही थी, मैं भी लेटा हुआ था। तभी माँ ने करवट ली उनकी गोल गोल गांड मेरे सामने थी, मेरी पैंट में तंबू बनने लगा। मेरे हाथ माँ की गांड की तरफ बढ़ने लगे, मुझे डर भी लग रहा था, मेरे हाथ कांप रहे थे।

फिर भी मैंने हिम्मत कर के अपना काम्पते हाथ माँ की गांड पर रख दिया। मैं हाथ को बिल्कुल नहीं हिला रहा था। मुझे डर लग रहा था, कुछ देरऐसे ही हाथ रखे रखा।
मुझे माँ की नर्म गांड महसूस हो रही थी।

अब मैंने अपना हाथ थोड़ा खिसकाया, अब मेरा हाथ माँ की गांड की गोलाई के ऊपर था ‘आहह… क्या जबरदस्त फीलिंग थी, मैं बता नहीं सकता, यह तो केवल वही बता सकता है जिसने अपनी माँ की नर्म नर्म रूई जैसी गांड की गोलाई के ऊपर हाथ रखा हो।

मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। अब मैंने माँ की गांड की गोलाई को थोड़ा सा दबाया। अब मैं कंट्रोल से बाहर हो चुका था।
मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकल लिया और अपने लंड को माँ की गांड से टच करने लगा।

मैं डर भी रहा था कहीं माँ की नींद ना खुल जाए और मैं अपने लंड को माँ के चूतड़ पे धीरे धीरे दबा रहा था जिससे माँ के मखमली चूतड़ अंदर की ओर दब रहे थे।

अब मैंने अपना लंड माँ के दोनों चूतड़ की दरार में रख दिया और बिल्कुल भी हिला नहीं!
सलवार होने के कारण लंड ज़्यादा अंदर तक नहीं गया था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया और माँ थोड़ी सी हिली, मुझे ऐसा लगा कि माँ की नींद खुल रही है तो मैं वहाँ से चला गया।

हमारे घर में बाथरूम नहीं था तो माँ आँगन में ही नहाती थी। जब वो नहाती थी तो दरवाज़ा बंद कर देती थी ताकि कोई आँगन में ना आ सके।
एक दिन माँ नहा रही थी, मैं आया तो दरवाजा बंद था, मैंने बोला- माँ दरवाज़ा खोलो, मुझे अंदर काम है!
तो माँ ने कहा- अभी मैं नहा रही हूँ, थोड़ी देर में खोलती हूँ।

 

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यह सुनने के बाद मेरी उत्सुकता बढ़ गई, मैं दरवाजे में कोई जगह खोजने लगा माँ को नहाते हुए देखने के लिए… लेकिन मुझे कोई जगह नहीं मिली माँ को देखने की!
लेकिन मैं दरवाजे की दरार से झाँकता रहा, अब मुझे माँ टॉवल लपेट कर आती हुई दिखाई दी तो मैं गेट से हट गया।

अब माँ ने दरवाज़ा खोल दिया और जाने लगी, मैं माँ की दूधिया जाँघों को घूर रहा था, वो बिल्कुल चिकनी थी। अब मैंने सोच लिया था कि कल माँ को नहाते हुए ज़रूर देखना है।
मैंने आँगन में झाँकने की जगह खोजना शुरू कर दिया। पहले तो दरवाजे से कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।

हमारे घर में एक कमरा है जिसमें फालतू का सामान रखा जाता है, उस कमरे की खिड़की आँगन में खुलती है, वो खिड़की हमेशा बंद ही रहती है, उसके बाहर जाली लगी हुई है और उसका दरवाजा अंदर रूम की तरफ खुलता है।

जैसे ही मैंने खिड़की को देखा, मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा, मैं भाग कर उस कमरे में गया और खिड़की को खोला।
मेरी आँखें चमक गई थी क्योंकि झा माँ नहा कर गयी थी वो जगह बस तीन-चार कदम की दूरी पर थी।

मैंने खिड़की को थोड़ा सा खुला रखा जिसमें से मैं उस जगह को आराम से देख सकता था, बाकी बंद कर दिया ताकि कोई आँगन से मुझे आसानी से ना देख पाए।
और वहां पर अपने बैठने के लिए जगह बनाई।

अब मैं आँगन में गया और खिड़की से 2 कदम दूर होकर देखने की कोशिश की कि अंदर का कुछ दिख रहा है या नहीं।
बाहर जाली और अंदर रूम में अंधेरा होने के कारण आँगन से अंदर रूम का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

अब मैं कल के इंतज़ार में था, पूरे दिन बस कल जो होने वाला था, उसी का ख्याल था।
रात हो गई थी, मैं सो गया लेकिन रात में ही मेरी आँख खुल गई। मैं उठा तो देखा सब सो रहे है। मैं उठा, मैंने पानी पिया और माँ की चारपाई की तरफ देखा माँ करवट लेके सो रही थी, उनका शर्ट थोड़ा ऊपर उठा हुआ था और सलवार थोड़ी टाइट थी जिस वजह से माँ की गांड की पूरी गोलाई नज़र आ रही थी।

जैसी ही मेरी नज़र उस पर पड़ी तो माँ की गांड मुझे चुंबक की तरह खींचने लगी और मैं भी माँ की गांड की तरफ खींचता चला गया। मैं माँ की गांड के नज़दीक खड़ा था और मेरे हाथ माँ की गांड की तरफ बढ़ रहे थे।

जैसे ही मेरे हाथ ने माँ की नर्म गोल गांड को स्पर्श किया मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। अब मैं माँ की गोल गोल गांड की गोलाइयों के ऊपर अपना हाथ फिरा रहा था और थोड़ा थोड़ा माँ की मखमली गांड को दबा भी रहा था।                               “Maa Ki Gaand Ki Golai”
मैं अपने आप के ऊपर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, मन कर रहा था कि अभी सलवार को फाड़ दूँ और माँ की गांड पर अपने होंठों से अपनी मोहर लगा दूँ।

 

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अब मैं झुका और सलवार के ऊपर से ही माँ के दोनों चूतड़ पर चूम लिया और एक बार फिर से दोनों चूतड़ को हाथ से दबाया और अपने बेड पर आकर लंड को हिला कर सो गया।

अब वो दिन आ गया था, जब मुझे माँ की गांड के दर्शन होने वाले थे। मैं सुबह उठा और खेलने चला गया लेकिन खेलने में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था, मैं तो बेसब्री से दोपहर होने का इंतज़ार कर रहा था जब माँ नहाने जाएगी।                                  “Maa Ki Gaand Ki Golai”

मैं जल्दी ही घर लौट आया, अभी 11 ही बजे थे, मैं मूवी देखने लग गया टाइम काटने के लिए!
अब एक बज रहा था, तभी मुझे आँगन का दरवाजा बंद होने की आवाज़ आई।

बस मैं तो इसी पल का इंतज़ार कर रहा था, मैं झट से उठा और रूम में गया और बाहर झाँका, बाहर का सब कुछ बिल्कुल साफ दिख रहा था, अभी माँ नहाने नहीं आई थी।                                                     “Maa Ki Gaand Ki Golai”

मैं वहाँ बैठा इंतज़ार कर रहा था और 5 मिनट बाद मेरा इंतज़ार ख़त्म हुआ, माँ आई, उसने डार्क चॉकलेट रंग का सलवार सूट पहना हुआ था और उनके हाथ में टॉवल था।

माँ ने टॉवल हैंगर पर टांग दिया जो खिड़की की साइड में था।
माँ का चेहरा मेरी साइड था।

अब माँ ने कपड़े उतरने शुरू किए, पहले वो शर्ट उतार रही थी, जैसे जैसे शर्ट ऊपर उठ रहा था मेरी आँखें फटी जा रही थी और धीरे धीरे उनका गोरा पेट मेरे सामने आता जा रहा था। मैं उस टाइम अपनी पलकें भी नहीं झपका रहा था क्योंकि मैं एक भी पल को मिस नहीं करना चाहता था।                                                            “Maa Ki Gaand Ki Golai”

शर्ट उठते उठते ब्रा तक पहुँच गया था, माँ का पेट कसा हुआ था और किसी हिरोइन के जैसा लग रहा था। अब शर्ट बूब्स के ऊपर गले तक जा चुका था और मैं आँखें फाड़ फाड़ फाड़ कर माँ की चुची घूर रहा था। माँ शर्ट निकाल चुकी थी और हैंगर पर टाँग रही थी और मेरी नज़र माँ के चूचों से नहीं हट रही थी, छोटे संतरा जैसे टाइट बूब्स काले रंग की ब्रा में क़ैद थे।

अब माँ सलवार का नाड़ा खोल रही थी और मेरी नज़रें उनके पेट पर टिकी हुई थी। माँ ने जैसे ही नाड़े से हाथ हटाया तो सलवार एकदम से नीचे गिर गई।                                                                       “Maa Ki Gaand Ki Golai”
माँ मेरे सामने सिर्फ़ काले रंग की ब्रा और पेंटी में थी, उनके दूधिया जिस्म पर काली रंग की पेंटी बहुत अच्छी लग रही थी जैसे कि उनके खूबसूरत जिस्म को नज़र लगने से बचा रही हो।

अब माँ ने ब्रा का हुक खोला और ब्रा को निकाल दिया। उनके बूब्स अब आज़ाद पंछी की तरह हवा में आ गये थे और पूरा सख्ती के साथ खड़े हुए थे जैसे जता रहे हों कि वो ही बॉस हैं उस जगह के!

उनके चूचुक गहरे गुलाबी रंग के थे और उठे हुए थे। मेरा तो अब बुरा हाल हो रहा था, मेरी पैंट के अंदर तंबू बन चुका था। अब मैं इंतज़ार में था कि कब पेंटी उतरे!
लेकिन माँ ने पेंटी नहीं उतारी और नहाने बैठ गई।                                    “Maa Ki Gaand Ki Golai”

वो मेरी तरफ ही मुँह कर के बैठी हुई थी और अपने पैरों को धो रही थी। उनके पैर बहुत ही चिकने लग रहे थे जैसे कि पूरा तेल लगा दिया गया हो।
मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाल लिया था और धीरे धीरे हिलाने लग गया था।

अब माँ ने पानी गर्दन के नीचे गिराया जो माँ के बूब्स पर से होते हुए उनकी पेंटी को गीला कर रहा था।
थोड़ी धूप होने के कारण माँ के दूधिया जिस्म पर गिरी हुई पानी की बूंदें मोती के जैसे चमक रही थी और मेरे हाथ की स्पीड मेरे लंड पर बढ़ रही थी।                                                                                                        “Maa Ki Gaand Ki Golai”

 

चुदाई की प्यासी लड़की की कहानी : Papa Ke Mote Lund Se Apni Kunwari Yoni Chudwai

अब माँ ने कमर के ऊपर तक और पैरों पर साबुन लगाया और अपने शरीर को मसलने लगी। पहले गर्दन के नीचे से और अब बूब्स तक हाथ आ गये थे।
माँ अब बूब्स को रग़ड़ रही थी, कुछ अलग ही तरीके से वो गोल गोल घुमा रही थी। शायद तभी उनके बूब्स अभी भी गोल और सख़्त थे।
वो बीच बीच में बूब्स को दबा भी रही थी और बूब्स हाथों की पकड़ से फिसल जा रहे थे जैसे जता रहे हों कि इतनी आसानी से हाथ नहीं आएँगे।

अब माँ ने अपनी जाँघों को मसला और साबुन उठा कर पेंटी के अंदर घुसा दिया। अब माँ खड़ी हो गई और उनकी कमर मेरी तरफ की तो उनकी गोल गांड मेरे सामने थी जो उनकी पेंटी में पूरी समा नहीं पा रही थी और उनकी गांड की गोलाई पूरी पेंटी से बाहर थी।     “Maa Ki Gaand Ki Golai”

मेरे तो होश उड़ गये थे और मेरे हाथ की रफ़्तार तेज़ हो गई थी जिस गांड के लिए मैं पागल था वो आज मेरे सामने थी, वो भी आधी नंगी।

अब माँ ने पेंटी के इलास्टिक में हाथ डाला और नीचे सरकाने लगी, मैं तो पागल हो उठा, मुझे माँ के चूतड़ की दरार दिखना शुरू हो गई थी और वो दरार बढ़ती जा रही थी।
और कुछ सेकिंड के बाद माँ की नंगी गांड मेरे सामने थी और वो भी दो कदम की दूरी पर!

उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैंने महसूस किया कि मेरा लंड आज तक इतना कभी टाइट नहीं हुआ, आज मेरा लंड गर्म लोहे की रॉड बन गया था और मेरा हाथ तो जैसे बिजली की रफ़्तार से चल रहा था।
माँ की गांड बिल्कुल गोल थी और एक भी दाग नहीं था माँ की गांड पर!                                           “Maa Ki Gaand Ki Golai”

 

लौड़ा का पानी निकालने वाली कहानी : Hamari Relationship Ka First Sensual Sex

अब माँ साबुन उठाने के लिए झुकी तो मेरे होश उड़ गये मेरा सारा खून मालूम नहीं कितनी रफ़्तार से दौड़ रहा था। यह पहली बार था जब मैं माँ की गांड का छेद देख रहा था।
माँ की गांड का छेद गहरे गुलाबी रंग का था और पाँच रुपये के सिक्के के जितना था। अब माँ चूत पर साबुन लगा रही थी। अब उन्होंने गांड पर साबुन लगाया गांड की दरार से साबुन को रगड़ते हुए।

अब माँ चूत को रगड़ रही थी फिर अपने चूतड़ रगड़े, फिर माँ अपने पैर रगड़ने के लिए झुकी, मुझे फिर से माँ की गांड का छेद दिखाई देने लगा।
माँ के झुकने के कारण उनकी गहरे गुलाबी रंग चूत भी मुझे दिख रही थी।

माँ की चूत की फांकें खुली हुई थी और मुझे छेद साफ नज़र आ रहा था।                          “Maa Ki Gaand Ki Golai”
मैंने पहली बार माँ की चूत और माँ की गांड को देखा था। माँ पैर रगड़ते हुए ऊपर नीचे हो रही थी जिससे माँ की गांड का छेद खुल और बंद हो रहा था जैसे मुझे बुला रहा हो।

मैं बिल्कुल पागल हो गया था, मन कर रहा था कि अभी चला जाऊँ माँ के पीछे और अपने होंठ माँ की चूत और गांड पर रख दूँ और चाट चाट कर सारा रस पी जाऊँ और फिर अपना पूरा लंड माँ की गांड में उतार कर माँ की चीखें निकाल दूँ।
लेकिन मैं अपने हाथ से लंड हिलने के सिवा कुछ नहीं कर सकता था।

माँ अब अपने ऊपर पानी डाल रही थी और मैं ज़ोर ज़ोर से लंड हिला रहा था, मेरी साँसें काफ़ी तेज़ हो चुकी थी।
माँ अब नहा चुकी थी वो खड़ी हुई और अपने ऊपर एक डिब्बा पानी डाला, फिर दूसरा डिब्बा पानी लेने के लिए जैसे ही झुकी, फिर से माँ की गांड का छेद मेरे सामने था।                                                             “Maa Ki Gaand Ki Golai”

और तभी मुझे सिहरन सी हुई और मेरे लंड से पिचकारी निकलने लगी।
आज मेरा लंड पानी छोड़े ही जा रहा था, आज तक कभी भी मेरा इतना पानी नहीं निकला था।

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मैं निढाल सा पड़ गया था और पसीने से लथपथ हो गया था और ऐसे ही पड़े हुए माँ को देख रहा था।
माँ टॉवल से अपने गोरे जिस्म को पोंछ रही थी, सारा जिस्म पोंछने के बाद टॉवल अपने जिस्म से लपेटा और फिर माँ अपनी गोल गोल मखमली गांड को हिलाते हुए वहाँ से चली गई।

अब मैं जब भी मौका मिलता, माँ को नहाते हुए देखने लग गया और देख देख कर अपना लंड हिलाने लग गया और रातों में माँ की गांड पर हाथ फिराने और दबाने लग गया।                                                 “Maa Ki Gaand Ki Golai”

ऐसे लम्बे अरसे तक चलता रहा, माँ को शायद थोड़ा शक़ ज़रूर हो गया था मेरी हरकतों का… लेकिन अभी तक कुछ कहा नहीं था।

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