Hitler Didi Ko Vasna Chadhi Mujhe Padhate Samay
दोस्तों यह बात उन दिनों की है, जब में 10th क्लास में पढ़ता था और मेरी उम्र करीब मेरी जवानी के साल पूरे कर चुकी थी। दोस्तों में बचपन से ही बहुत गोरा, सुंदर और तन्दुरुस्त शरीर का मालिक था और मेरे चेहरे पर हमेशा हंसी मासूमियत नजर आती थी और इसलिए मुझे अधिकतर लोग देखकर मेरी तरफ कुछ ही समय में आकर्षित हो जाते थे। दोस्तों उन्ही दिनों मेरे मोहल्ले में एक दीदी रहती थी, उनका नाम प्रियंका था जो की उस समय एक कॉलेज में अपनी पहले साल की पढ़ाई कर रही थी और उनकी उम्र तब करीब 21 साल थी। दोस्तों वो दिखने में बहुत ही मस्त पटाका माल थी, वो दिखने में बहुत सुंदर उनका रंग भी बड़ा गोरा था, लेकिन वो अपने स्वभाव की बहुत ही कड़क थी और फिर भी जवान लड़के उनके घर के आगे पीछे चक्कर लगाते रहते और शायद किसी लड़के से उनका चक्कर भी था, लेकिन इस बात का मुझे बस थोड़ा सा अंदाजा ही था। Hitler Didi Ko Vasna Chadhi Mujhe Padhate Samay.
फिर वो हमेशा बच्चों से एकदम सख्ती से पेश आती, जैसे कि अगर खेलते समय हमारी गेंद उनके यहाँ पर चली जाती तो वो हमे कभी भी वापस नहीं मिलती थी और उल्टा हमे उनकी तरफ से कई तरह के भाषण सुनने पड़ते थे। फिर इस वजह से सभी लोग प्रियंका दीदी से बहुत दूर और डरकर रहते थे, उनका रूप रंग एकदम गोरा उनके होंठ गुलाबी 5.3 इंच की उनकी लम्बाई भरा हुआ बदन बड़े आकार के एकदम सुडोल बूब्स, उठी हुई निप्पल बड़े आकार के कुल्हे और उनकी वो पतली कमर जो किसी भी लंड का पानी पहली बार में ही निकालने के लिए एकदम ठीक थी और इसलिए ही उनके पीछे बहुत सारे लड़के दीवाने हो चुके थे।
दोस्तों उन दिनों मुझे सेक्स के बारे में तो थोड़ी बहुत ही जानकारियां थी, लेकिन मुठ मारने के बारे में मुझे कुछ खास पता नहीं था और मुझे वो सभी सेक्स के बारे में जानकारियां भी अपनी कुछ किताबों से आई थी। दोस्तों हम सभी उनसे बहुत डरते थे, क्योंकि वो गुस्से में कभी कभी थप्पड़ भी मार देती थी, लेकिन उनकी इज्जत हमारे घर में एकदम ठीक थी, क्योंकि मेरी मम्मी एक लेक्चरार थी और मेरी मम्मी ने उन्हे पढ़ाया भी था इसलिए उनका हमारे घर पर आना जाना हमेशा लगा रहता था।
दोस्तों में अपनी पढ़ाई में ठीक था, लेकिन था में बड़ा लापरवाह और इसलिए मेरे नंबर तो अच्छे आ जाते थे, लेकिन में अपनी क्लास में कभी भी टॉप नहीं कर सका था और इस बात की चिंता मेरे घरवालों को बहुत थी, क्योंकि मेरी मम्मी कॉलेज जाती और पापा ऑफिस। फिर इसलिए मम्मी दोपहर के बाद तक वापस घर आ जाती थी और पापा रात तक वापस आते थे। फिर इसलिए में स्कूल से आने के बाद खेलकूद और मस्ती में लग जाता था। फिर मेरी मम्मी ने इसलिए एक दिन प्रियंका दीदी को हमारे घर पर बुलाकर मुझे उन्हे सौंप दिया और अब मम्मी ने मुझसे कहा कि स्कूल से आने के दो घंटे बाद तक जब तक में वापस नहीं आ जाती तुम इन्ही के यहाँ रहना। दोस्तों हर दिन मेरा खाना घर पर रखा रहता, मुझे जल्दी से उसको खाकर प्रियंका दीदी के यहाँ हर दिन जाना होगा। तभी प्रियंका दीदी ने मम्मी से एकदम कड़क शब्दों में कहा कि आंटी में इसकी आवारागर्दी और मस्ती तो पूरी तरह से निकाल दूँगी में इसको पूरा इंसान बना दूंगी, यह बाहर के दूसरे लड़कों के साथ अब बहुत बिगड़ने भी लगा है। दोस्तों में उन दोनों की वो बातें सुनकर डरकर बहुत घबरा गया कि प्रियंका दीदी मुझे हमेशा हड़काकर रखेगी और अब मेरी मस्ती खेलना भी बिल्कुल बंद। अब बस मुझे अपनी पढ़ाई पर ही पूरा ध्यान देना होगा और यह सभी बातें सोचकर में मन ही मन बहुत उदास हो गया।
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फिर अगले दिन से में प्रियंका दीदी के यहाँ पर जाने लगा था, वो उनके घर में या तो हमशा बिना चुन्नी के सलवार सूट या फिर गाउन में घूमती हुई मुझे नजर आती थी और घर में बस उनकी मम्मी होती थी, लेकिन वो ज़्यादातर समय घर के कामों में लगी रहती थी। दोस्तों उनका एक भाई जो उनसे उम्र में एक साल छोटा, लेकिन वो मुझसे बड़ा था वो बिल्कुल निकम्मा था और वो अधिकतर समय घर से बाहर ही रहता था, उनके पापा सुबह ऑफिस चले जाते थे और वो शाम तक ही वापस आते थे। दोस्तों में दोपहर के करीब दो बजे से चार बजे तक के समय उनके घर पर रहने लगा था, जो मेरी एक मजबूरी थी। अब मुझे मन मारकर वो सभी काम अपनी मम्मी के कहने पर करना पड़ा, क्योंकि मेरी मम्मी भी करीब चार बजे तक वापस आ जाती थी और पहले 15-20 दिनों तक तो सब कुछ मेरे सोचने के हिसाब से ही होता रहा। अब वो मेरे पहुचंते ही मुझसे मेरी किताब कॉपी निकलवाकर मुझे मेरा होमवर्क करवाने लगती या मुझसे वो मेरा पाठ सुनने लगती और फिर वो बहुत रौब से मुझसे हमेशा बात किया करती थी। दोस्तों वो मेरे पास हमेशा एकदम फ्री होकर बैठती थी, जिसकी वजह से उनके कपड़ो का बड़े आकार का गला कभी कभी मुझे खुला हुआ दिखाई दे जाता था और मुझे उनकी ब्रा में कसे हुए उनके बूब्स बड़े आराम से साफ नजर आते थे।
दोस्तों उनके वो बूब्स एकदम गोरे और मक्खन की तरह मुलायम थे, लेकिन बूब्स की निप्पल मुझे कभी नजर नहीं आई और ना ही मैंने कभी जानबूझ कर उनकी तरफ झाकने की कोशिश कि, क्योंकि मेरी इस कोशिश को अगर वो पकड़ लेती तो वो मुझे पकड़कर बहुत मारती मेरी जमकर पिटाई करती। फिर उसके बाद वो यह सभी बातें मेरे घर पर भी मेरी मम्मी पापा को बता देती, लेकिन कुछ भी कहो उनके बूब्स थे बड़े मस्त आकर्षक। दोस्तों अपने घर आ जाने के बाद भी में हमेशा उन्ही के बारे में सोचा करता था। एक बार उन्होंने पैरों के बीच में से उधड़ी हुई एक सलवार पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उनकी पेंटी मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी और उसके एक तरफ से झाट के बाल भी मुझे नजर आ रहे थे, उनकी जांघे भी बहुत गोरी एकदम चिकनी थी। दोस्तों वो गर्मियों के दिन थे और इस वजह से हम दोनों हमेशा नीचे ज़मीन पर ही बैठते थे, उस समय मैंने आलतीपालती लगा रखी थी और किताब मेरी गोद में थी और उनका एक पैर पूरा सीधा होकर फैला हुआ था और एक पैर मुड़ा हुआ खड़ा था और वो सोफे पर अपनी पीठ को टीकाकर बैठी हुई थी। अब उस वजह से उनका कुर्ता सरककर उनके गोरे पेट और जांघो के बीच में आ गया और सलवार का वो फटा वाला हिस्सा मेरी आँखों के एकदम सामने था।
फिर में तो चकित होकर एकदम से उसको देखता ही रह गया और वो उस समय अपने किसी काम में बिल्कुल मगन हो चुकी थी और में अपने सर को नीचे झुकाए किताब को देखने की कोशिश कर रहा था। अब उनकी पेंटी चूत के बीच में आ चुकी थी, जिसकी वजह से मुझे उनकी उभरी हुई चूत का आकार उभार एकदम साफ स्पष्ट हो रहा था। फिर मैंने देखा कि उनकी चूत एक छोटी पाव रोटी की तरह उभरी हुई थी जो दिखने में आकार में भी मुझे कुछ बड़ी नजर आ रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद उन्होंने अपने आसन को बदल लिया जिसकी वजह से वो बड़ा मस्त सेक्सी नजारा मेरी आँखों से एकदम ओझल हो गया, लेकिन अब मुझे उनके बड़े गले के सूट से बूब्स का मनमोहक द्रश्य दिखने लगा था, जो मेरे मन को बहलाने लगा था और उसकी वजह से में मन ही मन बड़ा खुश था। दोस्तों अब में हर दिन उनके यहाँ पर जाने के लिए बैचेन रहने लगा था, में उनकी हर बात को मानने लगा था जिसकी वजह से वो भी अब मुझसे ज़्यादा सख्ती से पेश नहीं आती थी। अब हम दोनों के बीच कभी कभी हंसी मजाक भी होने लगा था। फिर कुछ दिनों के बाद गर्मियों की छुट्टियाँ लग गयी और अब मेरी मम्मी घर पर ही रहने लगी थी, लेकिन फिर भी मेरा उनके यहाँ पर जाकर पढ़ाई करने का वो काम वैसे ही चालू था।
फिर उन्ही दिनों उनके भाई की भी छुट्टियाँ लग चुकी थी और इसलिए वो उनकी मम्मी को अपने साथ में लेकर कुछ दिनों के लिए उनके मामा के यहाँ चला गया। एक दिन में किसी काम से बाज़ार गया हुआ था और इस वजह से मुझे उनके घर पर जाने में थोड़ी देर हो गयी, वो दोपहर का समय था और इसलिए धूप भी बड़ी तेज़ हो रही थी। फिर मैंने देखा कि वो बाहर अपने घर की बाल्कनी में खड़ी होकर मेरा इंतज़ार ही कर रही थी, में दोपहर में करीब तीन बजे बाजार से वापस आया और फिर में अपने घर पर सामान को रखने के लिए जाने लगा था। अब वो वहीं से मुझे देखकर मुझसे पूछने लगी कि आज कहाँ रह गया था? तब मैंने उनसे कहा कि दीदी बस में अभी आता हूँ और इतना कहकर अपने घर पहुंचकर मैंने फटाफट सामान रखा और उसके बाद पानी पिया। फिर में अपनी किताबें उठाकर उनके यहाँ भाग गया और उन्होंने फटाफट दरवाज़ा खोल दिया, उस दिन घर पर उनके अलावा कोई नहीं था। दोस्तों उस समय मेरा चेहरा धूप और गरमी की वजह से एकदम लाल हो चुका था और मुझे बहुत पसीना भी आ रहा था। फिर अंदर जाते ही उन्होंने मेरा एक कान पकड़कर कहा क्यों तू कहाँ दोपहरी में इधर उधर घूमता फिर रहा है? चल अब बैठ जा नीचे।
अब में तुरंत नीचे ज़मीन पर बैठ गया, क्योंकि गर्मियों में ठंडे फर्श पर बैठना बहुत अच्छा लगता है और नीचे बैठते ही मुझे बड़ी राहत मिली। दोस्तों उस दिन उन्होंने सफेद रंग के ऊपर पीले रंग के फूलों की आक्रति वाला एक कॉटन का सूट पहना हुआ था, जिसका गला थोड़ा सा बड़ा था और चुन्नी तो वो घर में कभी अपने साथ रखती ही नहीं थी और इसलिए उनके गले से नीचे का हिस्सा साफ साफ चमक रहा था और उस समय मैंने निक्कर और टीशर्ट पहन रखी थी। दोस्तों में क्योंकि बहुत तन्दुरुस्त था और इसलिए मेरी जांघे भी एकदम मस्त थी जिन पर अभी तक बाल भी नहीं आए थे, लेकिन मेरी झाटो के बाल थोड़े लंबे जरुर हो गये थे, मेरा चेहरा गोल और भरा हुआ था जिस पर दाढ़ी मुछ के हल्के हल्के रोए अब आने शुरू हुए थे। दोस्तों उस दिन वो मेरे पास में एक तकिया लगाकर लेट गयी, उनका सर मेरे पैरों के पास था और मैंने आलथीपालती लगा रखी थी। फिर कुछ देर बाद उन्होंने करवट मेरी तरफ ले ली और तब उनकी आँखे अधखुली सी थी जैसे की वो अब नींद में आने वाली हो। दोस्तों उनके ऐसा करने से अब मुझे उनके वो बूब्स उनके बड़े आकार के गले के सूट के ऊपर से आधे बाहर झूलते लटकते हुए दिखाई दे रहे थे।
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दोस्तों मेरी अच्छी किस्मत से उस दिन उन्होंने उस सूट के अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और इसलिए उनके दोनों बूब्स की निप्पल उस कुर्ते में एक जगह पर उठती हुई मुझे नजर आ रही थी। फिर में कुछ देर बाद उस तरफ से अपना ध्यान हटाकर अपनी किताब को पढ़ने लगा और कुछ देर बाद मुझे एक इंग्लीश का शब्द समझ में नहीं आया तब मैंने दीदी से उसका मतलब पूछा। फिर उन्होंने लेटे लेटे ही मेरे पैरों पर रखी किताब को थोड़ा सा टेढ़ा करके देखा और वो मुझे बताने लगी। दोस्तों उनके ऐसा करने की वजह से दो काम एक साथ हुए एक तो अब उनके बूब्स मुझे पहले से भी ज़्यादा दिखाई देने लगे थे और दूसरा यह कि उनका एक हाथ मेरी जाँघ पर लगा था। अब उसकी वजह से मुझे गुदगुदी का एहसास हुआ, लेकिन इस काम के बाद मेरे साथ एक बड़ी ही अजीब बात हुई में जिसके बारे में मैंने कभी सोच भी नहीं था। अब उन्होंने मुझे उस शब्द का मतलब बताने के बाद अपना हाथ मेरी जाँघ पर से नहीं हटाया और वो करीब करीब औंधे मुहं होकर पड़ गई। अब उस वजह से मुझे बड़ा अजीब सा लगा, लेकिन में डर की वजह से कुछ भी नहीं बोला में अपनी किताब पर ध्यान देने की कोशिश करने लगा था।
फिर कुछ देर बाद एक घटना और घटित हुई उन्होंने औंधे पड़े पड़े ही एक अंगड़ाई सी ली और अपनी जांघो को सिकोड़ लिया और शरीर को थोड़ा सा अकड़ा सा लिया, उनकी जांघे सलवार से ढकी हुई थी, लेकिन कुर्ता ऊपर से हट गया था। फिर इसी बीच में उन्होंने अपने हाथ की उँगलियाँ मेरे निक्कर के अंदर डालनी चाही, मेरा निक्कर थोड़ा सा ढीला था और इसलिए उन्हे थोड़ी सी मेहनत करने पर ही सफलता भी मिल गई थी। अब उनकी उंगलियाँ मेरे लंड से एक इंच की दूरी पर थी और मेरा भी मन अब बहकने लगा था और जो हाथ उनका मुझ पर था मैंने हिम्मत करके उनकी उस बाह पर अपना एक हाथ टीका दिया और में किताब को पकड़े पढ़ाई करने लगा। दोस्तों अब पोज़िशन यह थी कि वो निक्कर के अंदर कुछ टटोलने की कोशिश कर रही थी और में उनके हाथ और कंधे के नज़दीक उनके बूब्स को छूने की हिम्मत कर रहा था और उनके इतना करीब में इससे पहले कभी भी नहीं गया था और इसलिए मुझे थोड़ा सा डर भी लग रहा था। दोस्तों उनके सूट की बाह छोटी थी और हाथ को इधर उधर करने की वजह से वो थोड़ी और ऊपर हो गयी थी, जिसकी वजह से उनकी बाह के बाल गोरी गोरी बाहों के साथ अब मुझे साफ दिखकर उन्हे और भी सेक्सी बना रहे थे। अब भी उनकी उंगलियाँ बराबर मुझे अंदर से टटोल रही थी और मेरे लंड को वो पकड़ने के लिए बड़ी मेहनत कर रही थी।
दोस्तों मैंने एक वी आकार की फ्रेंच अंडरवियर पहनी हुई थी। अब तक मेरा लंड बहुत टेंशन में आ गया था और वो मेरी अंडरवियर के कोने पर आ गयी, जिसकी वजह से मेरी जांघो में बड़ी अजीब सी सरसराहट शुरू हो चुकी थी। फिर मैंने भी धीरे से उनका वो बूब्स जो मेरे उसी हाथ के पास था, मैंने उनके कुर्ते के ऊपर से उसको छु लिया जिसकी वजह से मुझे एकदम नरम मुलायम अंग का एहसास हुआ। फिर उसी समय उन्होंने एक बड़ी गहरी लंबी साँस भरी और एकदम अपने हाथ को मेरी अंडरवियर के ऊपर रख दिया, जिसमे की मेरा लंड क़ैद था। अब मेरा लंड उनके हाथ के पड़ते ही और भी सख़्त हो गया, मेरी आँखों में लाल डोरे उतर आए और बदन से गरमी भी निकलने लगी थी, उनकी साँसे भी अब धीरे धीरे बहुत तेज़ होने लगी थी। दोस्तों मुझे उनका वो चेहरा साफ नहीं दिख रहा था, क्योंकि वो औंधी सी पड़ी हुई थी, लेकिन उनकी एक आँख जो मुझे दिखाई दे रही थी वो अब भी बंद ही थी, उनके चेहरे पर उनके बाल भी पड़े हुए थे जो कंधों पर भी पड़े थे और वो बूब्स पर भी पड़े थे। अब मैंने हिम्मत करके उनके बालों को कंधे और बूब्स के ऊपर से हटाना शुरू किया, जिसकी वजह से में उनके चेहरे और बूब्स के दर्शन कर सकूँ, लेकिन वो अब भी अपनी आँखे बंद किए पड़ी थी।
अब मैंने देखा कि उसके चेहरे पर पसीने की कुछ बूंदे उभर आई थी, उसका चेहरा धीरे धीरे सुर्ख हो रहा था। अब मैंने और हिम्मत करते हुए उनका हाथ कोहनी से ऊपर तक सहलाने लगा था, लेकिन उन्होंने इसका कोई भी विरोध नहीं किया। फिर उसी समय मैंने किताब को बंद करके एक तरफ रख दिया और जो कुछ भी हो रहा था, उस पर में ज्यादा गौर करने लगा था। अब उन्होंने मेरा लंड जो उस समय खड़ा होकर करीब पाँच इंच का हो गया था, उसको अंडरवियर के ऊपर से सहलाना शुरू किया। फिर में भी अपने हाथ को उनकी बाह पर फेरते फेरते उनके चेहरे तक ले गया, मैंने तब महसूस किया कि वो अब तप रहा था। दोस्तों मैंने पहले एक दो बार सिर्फ़ उनके चेहरे को छुआ, लेकिन जब उनकी तरफ से कोई भी विरोध नहीं हुआ तब मेरी हिम्मत पहले से ज्यादा बढ़ गई और मैंने बड़े प्यार से उनके चेहरे और होठों पर अपने हाथ को फेरा और अब में उनके गले की तरफ बढ़ने लगा था, लेकिन बीच में मेरा लंड पकड़े हुए उनकी बाह आ रही थी और इसलिए में सिर्फ़ गले को ही छु सका जो की पसीजा हुआ था।
फिर मैंने अपने हाथ को चेहरे से हटाकर सीधा उनके बूब्स पर रखा, जो बिना ब्रा के एकदम खुलापन महसूस कर रहे थे उन्हे कुर्ते के बाहर से महसूस करने के बाद मैंने गले में हाथ डाल दिया और में दोनों बूब्स को महसूस करने लगा था। अब उनकी साँसे और भी तेज़ हो गयी और लंड पर तेज़ी से प्रहार चल रहा था, मुझे हाथ गले में घुसाए रखने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही थी, क्योंकि दाव ठीक नहीं बैठ पा रहा था। अब वो मेरी परेशानी को ठीक तरह से समझ गयी और अब वो थोड़ा सा सीधी होकर लेट गई और वो अपनी आँखों को थोड़ा सा खोलकर मेरी तरफ देखने लगी, उनके देखने की वजह से मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी और उनका हाथ अब भी मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़े हुए था। अब उन्होंने मुझसे बहुत धीरे से कहा कि आराम से लेट जा और वो दोबारा करवट लेकर फिर से अपनी आँखों को बंद किए लेट गई, लेकिन में उनका वो इशारा बहुत अच्छी तरह से समझ गया। फिर इस वजह से में भी उनके कहते ही तुरंत उनके पास में उनकी तरफ करवट लेकर लेट गया। अब उनका हाथ बाहर निकल आया था मेरे लेटते ही उन्होंने मेरे सर को अपनी छाती से लगा लिया और मैंने उस गुदगूदे सीन से चिपककर अपना मुँह खोल दिया।
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फिर बूब्स को में अपने मुँह से छेड़ने लगा और अपना एक हाथ मैंने उनके कूल्हों पर रख दिया, उसी हाथ को में धीरे धीरे कूल्हों की दरार में ले गया। दोस्तों उस समय वो पेंटी भी नहीं पहनी थी, जिसकी वजह से मुझे उनके कूल्हों का भी पूरा मस्त मज़ेदार एहसास हुआ और अब उनका हाथ मेरी निक्कर के बटन को खोलने में लगा था, लेकिन उससे पहले मैंने अपने ही हाथ से उसको खोल दिया। फिर उसके बाद उन्होंने चेन को खोलकर निक्कर को एकदम ढीला कर दिया और मैंने भी थोड़े से अपने कुल्ले ऊपर उठाकर उनकी निक्कर को नीचे करने में मदद कि। अब उनका हाथ सीधा मेरी अंडरवियर के अंदर चला गया और वो मेरे लंड से खेलने लगी थी, मेरा लंड भी उनके हाथ का स्पर्श पाकर फुकार मारने लगा। अब मैंने उनके कूल्हों से अपने हाथ को हटाकर उनके कुर्ते के अंदर डाल दिए और में उनकी कमर और पेट से होते हुए सीधे बूब्स तक पहुँच गया, निप्पल को मैंने ज़ोर से दबा दिया जिसकी वजह से उनके मुहं से हल्की सी चीख भी निकल गयी और अब उन्होंने धीरे से अपनी आँख को खोला, लेकिन में तब भी नहीं डरा। अब उन्होंने मुझसे अपने बड़े ही मादकता वाले अंदाज़ से कहा कि प्लीज थोड़ा आराम से कर तुझे इतनी भी क्या जल्दी है? में क्या कहीं भागी जा रही हूँ?
फिर मैंने उनके मुहं से यह बात सुनकर पहले से ज्यादा अपनी बड़ी हुई हिम्मत की वजह से अब तुरंत उनका वो कुर्ता खीचकर उनके गले तक ऊपर कर दिया, जिसकी वजह से मुझे वो द्रश्य दिखा, जिसको देखकर में अब भी सोच रहा था कि जैसे में कोई सपना देख रहा हूँ। दोस्तों मुझे उनके साथ इतना सब कुछ कर लेने पर भी बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था। दोस्तों उनके दोनों बूब्स अब एकदम नंगे और कबूतर की तरह आजाद ख़ुशी से झूम रहे थे, वो एकदम गोरे गोरे और क्रिकेट की गेंद से कुछ ज्यादा बड़े एकदम गोलमटोल थे और उसके दोनों निप्पल जो थोड़े से मुलायम और ऊँचे उठे हुए थे। अब वो एकदम जोश में आ गये, में उन्हे देखते ही पागल हो गया और अब में उन दोनों बूब्स को बारी बारी से चूसने लगा और काटने भी लगा था, जिसकी वजह से वो भी एकदम मस्त हो गई थी और उन्होंने मुझे अपनी तरफ खीचकर अपने बदन से चिपका लिया। दोस्तों उनका वो कुर्ता जो अभी तक भी उनके गले में ही था वो अब भी हमारे बदन के बीच में आ रहा था और इसलिए मैंने उसी समय उन्हे इशारा करके कहा कि आप इसको भी उतार दो। फिर उन्होंने मेरे कहने पर तुरंत बैठकर उस अपने कुर्ते को उतार दिया, उठकर बैठने पर मुझे उनकी पूरी गोरी चिकनी कमर और हिलते हुए बूब्स दिखाई पड़े जो इस क्रिया में एकदम प्राक्रतिक तरीके में हिल रहे थे।
दोस्तों वो दोनों बूब्स पहले उनके हाथ ऊपर करने की वजह से उठकर तन गए और उसके बाद वो हाथों के नीचे करने पर वापस अपनी जगह पर आकर तन जाते। अब वो यह काम खत्म करके एक बार फिर से मेरे पास में लेट गयी और तब उन्होंने पहली बार मुझे प्यार से चूमा, मैंने भी उनके सर के पीछे से अपने एक हाथ को डालकर उनके बालों में अपनी उँगलियों को डालते हुए एक जवान मर्द की तरह उनके होठों को चूमा। फिर इसके बाद उनके बूब्स पकड़कर में उनको प्यार करता रहा उस काम में वो भी मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी और उन्होंने भी अब मेरा लंड अंडरवियर से पूरा बाहर निकाल दिया और उन्होंने मेरी अंडरवियर को पूरा नीचे मेरे घुटनों तक सरका दिया। अब में बहुत जोश में आ गया था और इसलिए मैंने अपने दोनों पैरों के बीच में फँसे हुए निक्कर और अपनी अंडरवियर दोनों को एक झटके से नीचे उतारकर दूर फेक दिया, जिसकी वजह से में अब ऊपर और नीचे से पूरा नंगा हो चुका था। अब मेरा हाथ उनकी सलवार पर पहुंच गया और पेट पर रेंगते हुए उनकी सलवार के नाड़े वाले हिस्से से होते हुए में उनकी चूत पर पहुँच गया। अब मैंने छुकर महसूस किया कि उनकी चूत पर बहुत सारे बाल थे, वहाँ का सारा हिस्सा पसीने और उनकी चूत के रस से गीला हो चुका था।
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दोस्तों कुछ देर बाद चूत के होंठो को छुते ही दीदी को करंट सा लगा और उन्होंने मेरे कंधे पर अपने दाँत गड़ा दिए, मैंने झट से उनके मुँह पर अपना मुँह रखकर अपनी जीभ को उनके मुहं के अंदर डाल दिया, तब तक वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और में भी बहुत जोश में था। अब में सलवार के नाड़े को खोलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी परेशानी को समझकर उन्होंने उसको अपने आप ही खोल दिया और फिर अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर उन्होंने मुझे अपनी सलवार को निकालने में भी पूरी पूरी मदद कि और वो पूरी नंगी होकर मेरे सामने पड़ी थी। दोस्तों कुछ समय पहले तक जिस लड़की का हम सभी बच्चों पर इतना ख़ौफ था, जिसके सामने हमारी आवाज भी नहीं निकलती थी, वो आज मेरे सामने पूरी नंगी होकर लेटी हुई थी, लेकिन तभी मेरे दिल में उसको एक साथ पूरी नंगी देखने की हसरत उठी तो में अपनी टीशर्ट को उतारने के लिए उठा और उसके दोनों तरफ पैर करके में खड़ा हो गया, जिसकी वजह से मेरा लंड 90 डिग्री पर खड़ा होकर उसकी चूत को सलामी दे रहा था। अब वो यह सब देखकर शरमा सी गयी और उसने अपनी दोनों आँखों को बंद कर लिया, लेकिन वो तो अब पूरी नंगी होकर मेरे सामने लेटी हुई थी, उसका पूरा शरीर एकदम गोरा चिट्टा बूब्स पर गुलाबी निप्पल और चूत पर हल्के छोटे काले बाल एक बड़ा ही मस्त द्रश्य अब मेरी आँखों को सुख दे रहे थे।
फिर एक दो मिनट तक उसको ऐसे ही देखने के बाद में अब अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गया मेरे दोनों घुटने उसकी कमर के दोनों तरफ थे। अब मैंने अपनी पोज़िशन को संभाल लिया, सबसे पहले मैंने उसके हाथों को उसके चेहरे से हटा दिया और वो अब किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह शरमाकर अपने मुँह को दूसरी तरफ करने लगी थी। फिर मैंने उसके मुँह पर एक चुम्मा किया, उसने उसी समय मेरे लंड को पकड़ लिया उसके हाथ का नरम स्पर्श पाकर मेरा लंड अकड़ गया और कुछ देर बाद वो अपने एक हाथ को आगे पीछे करके मुठ मारने लगी थी। अब उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मस्त मज़ा आ रहा था और उसी समय मैंने भी जोश में आकर उसकी चूत में बड़ी तेज़ी से अपनी एक उंगली को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से वो बहुत गरम हो गयी वो आह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ करके अपने मुहं से सिसकियों की आवाज निकालने लगी थी, लेकिन वो कुछ देर बाद अपना शरीर तोड़ने लगी और वो बार बार मेरे लंड को अपनी चूत से लगाना चाह रही थी मैंने भी उसका कोई विरोध नहीं किया। दोस्तों वो भी पहली बार यह सब कर रही थी और मेरा भी यह पहला सेक्स अनुभव था और फिर मैंने कई बार अपने लंड को अंदर डालने की कोशिश कि, लेकिन हर बार मेरा लंड उसकी चूत के अंदर ना जाकर इधर उधर फिसल जाता।
अब उसको एक बार ज़ोर से हँसी भी आ गयी और फिर उसने मुझसे कहा कि ऐसे ही कर लो और अब में उसके चिपककर अपने लंड को उसके ऊपर से ही धक्के मारने लगा था और साथ ही में चूत में भी उंगली करता रहा। अब वो बहुत गरम हो गयी और अब आअहह उफ्फ्फ्फ़ की आवाज़ के साथ उसने मुझे अपनी बाहों में कसकर जकड़ लिया और उसने मेरे एक हाथ को अपनी चूत के ऊपर पकड़कर कसकर अपनी दोनों जांघो में जकड़ लिया। अब मैंने भी कसकर उसकी चूत को अपने हाथ की मुट्ठी में भर लिया और में उसकी गरमी और बैचेनी को महसूस करने लगा था, तब में लगातार उसके चेहरे को ही देखता रहा कुछ देर बाद मैंने देखा कि उसकी जोश की वजह से आंखे दोबारा बंद हो चुकी थी, लेकिन जब आंखे खुली तब वो शरमा गयी और मुझे उसने अपने ऊपर खीच लिया। दोस्तों मैंने अब एक बार फिर से उसकी चूत के ऊपर से धक्के लगाने शुरू कर दिए, उस समय मैंने उसके दोनों बूब्स को कसकर पकड़ लिया था। फिर करीब दो तीन मिनट के बाद ही में भी उसके पेट पर ही झड़ गया, मेरा बहुत सारा गरम लावा लंड से बाहर निकलकर उसके पेट, बड़े आकार की एकदम गोल नाभि में भी भर गया। फिर हम दोनों कुछ देर तक तो ऐसे ही चिपके हुए पड़े रहे और उसके बाद उसने पास ही पड़े एक टावल को उठाया उससे उसने मुझे और अपने आपको साफ किया।
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फिर उसी समय बड़े प्यार से मुझे देखते हुए उसने एक चुम्मा भी किया। दोस्तों अब में दीदी से ज़रा भी ख़ौफज़दा नहीं था और वो मुझे अब अपनी आज्ञाकारी पत्नी की तरह लग रही थी, उसके चेहरे से मुझे उसके मन की ख़ुशी का अंदाजा लग रहा था। फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और आँखों ही आँखों में हम दोनों ने एक दूसरे से यह वादा किया कि इस बात को हम दोनों ही किसी को कभी भी नहीं बताएँगे, उसके बाद फिर से चुम्मा किया और उसके बाद में अपने घर आ गया।