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जमींदार साहब के खड़े मोटे लंड की मालिश

December 9, 2021 by crazy

Haveli Naukrani Ki Chudai

ये कहानी शुरू होती है ज़मीदार भानु प्रताप सिंह की हवेली से, यहाँ उसका परिवार, जिसमे खुद भानु प्रताप सिंह, उसकी पत्नी कौशल्या रानी और 5 साल का बेटा रहते है। भगवान का दिया सब कुछ है उनके घर में, लेकिन वो कहते है न के ज्यादा पैसा भी मती मार देता है और उल्टे सीधे शौक डाल देता है। Haveli Naukrani Ki Chudai

ऐसा ही ज़मीदार भानु प्रताप सिंह के साथ हुआ है। चाहे जमीदार साब शादीशुदा है लेकिन आज भी कच्ची कलियाँ मसलने में ज्यादा विश्वास रखते है। उन्होंने हवेली में घर का काम करने के लिए एक गरीब घर की औरत विमला रखी हुई है। जो बेहद खूबसूरत सुडोल ज़िस्म की मालकिन है।

उसे देखकर कोई भी अंदाज़ा नही लगा सकता के वो बेहद गरीब घर की बहू है। उसकी उम्र यही कोई 28 साल के लगभग होगी। उसके परिवार में उसकी सास, उसका पति, वो खुद और 3 साल के बच्चे को मिलाकर 4 मैम्बर है। रोज़गार के नाम पे उसका पति दिनेश छोटी सी सब्ज़ी की रेहड़ी लगता है, और गली गली जाकर सब्ज़ी बेचता है।

घर का गुज़ारा और अच्छी तरह से हो, इस लिए विमला अपने 3 साल के बेटे को अपनी सास को सौंपकर, खुद ज़मीदार के घर पे काम करती है। ज़मीदार पहले दिन से ही उसे भूखी नज़रो से देखता है। जिसका विमला को भी पता है। लेकिन गरीब होने के कारण मज़बूरी है, के उनकी दासी बनकर उनके घर का काम करना पड़ता है।

वो तो ज़मीदार का बस नही चलता, नही तो उसे कब का कच्ची कली की भांति मसल कर फेंक चुका होता। वो रोज़ाना उसके सुडोल बदन को हवस भरी नज़रो से देखकर स्कीम बनाता के कैसे इसको इसी की बातो में घेर कर इसकी जवानी को भोगा जाये। एक दिन विमला ने ज़मीदार से घर के किसी जरूरी काम के लिए 10 हज़ार रुपये की मांग की।

ज़मीदार — देखो विमला, इतनी बड़ी रकम दे तो दूंगा लेकिन जिस तरह से तुम्हारी तनख्वाह है। उसके हिसाब से तो एक साल से ऊपर लग जायेगा तुझे क़र्ज़ चुकाने में, ऊपर से ब्याज मिलाकर तुम्हारे 2 साल यहाँ पे खराब हो जाएंगे। अब बताओ इतना समय पेट को गांठ कैसे लगाओगे। घर पे क्या नही चाहिए बोलो खाना, कपड़े और अन्य छोटे छोटे खर्चे।

विमला — आप इसकी फ़िक्र न करे मालिक, वो मेरी सरदर्दी है, कही से भी लाऊँ, आपकी पाई पाई चुकता कर दूंगी।

ज़मीदार  — देखलो विमला 6 महीने का वक्त दे रहा हूँ। यदि एक दिन भी ऊपर हो गया तो उसके ज़िम्मेदार तुम खुद होंगी। यहा अंगूठा लगाओ। और एक बात इस पैसों वाली बात का किसी से भी ज़िक्र न करना, ये बात हम दोनों में ही रहनी चाहिए।

विमला — ठीक है हज़ूर।

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ज़मीदार की बही पे विमला ने अंगूठा लगाकर 10 हज़ार रूपये ले लिए पैसे देते वक्त उसने विमला का हाथ भी पकड़ना चाहा । लेकिन ऐन वक्त पे उसकी बीवी आ जाने से उसने उस वक़्त उसे छोड़ दिया।

धीरे धीरे वक्त बीतता गया। कब साढ़े 5 महीने बीत गए पता ही न चला। इकरार से एक हफ्ता पहले विमला को मालिक ने अपने कमरे में बुलाया।

ज़मीदार — विमला, क्या तुम्हे याद भी है के तुम्हारे किये इकरार के हिसाब से 5 दिन बाद तूने मुझे सारे पैसे ब्याज समेत वापिस करने है। मैंने सोचा क्यों न याद करवा दू। ताजो कोई कमी भी रही हो तो रहते वक्त तक पूरी हो जाये। परन्तु याद रखना जुबान से बदल न जाना। वरना मैं बहुत बुरे स्वभाव का व्यक्ति हूँ।

विमला — आप फ़िक्र न करो मालिक, आपको आपका पैसा समेत ब्याज सुनिश्चित तारीख पे मिल जायेगा।

ज़मीदार (बीच में बात काटते हुए) —  यदि न वापिस आये तो??

विमला — तो फेर जो दिल करे दण्ड लगा लेना, मैं हंसकर आपकी हर सज़ा कबूल कर लूँगी।

ज़मीदार — चलो देखते है, क्या बनता है ?

इस तरह से वो इकरार वाला दिन भी आ गया। सुबह से ही ज़मीदार बार बार दरवाजे की तरफ देख रहा था।

कौशल्या — क्यों जी, इतने व्याकुल क्यों हो। किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो ?

ज़मीदार — नही कुछ नही तुम अपना काम करो।

ज़मीदार सोचने लगा के आज से पहले तो विमला सुबह 8 बजे ही काम पर आ जाती थी। लेकिन आज 10 बजने पर भी नही आई। कही पैसो के चक्र की वजह से तो नही गैर हाज़िर हुई है। यही सोचते सोचते जमीदार विमला के घर की तरफ चला गया।

घर के बाहर रुककर आवाज़ लगाई,” ओ दिनेश बाबू, बाहर आओ।

2-3 बार ऐसे ही आवाज़ देने पे जब कोई बाहर न आया तो खुद जमीदार बन्द पड़े लकड़ी के टूटे से दरवाजे को खोलकर घर के भीतर चला गया। अंदर जाकर क्या देखता है के विमला खाट पे पड़ी है। उसके पास उसके बेटे के इलावा कोई भी नही है। जिसे शयद स्तनपान कराते कराते सो गयी थी।

उसके कपड़े नींद की वजह से अस्त व्यस्त से पड़े थे। जिसमे से आधे से ज्यादा विमला का बदन दिख रहा था। जिसे देखकर पहले तो ज़मीदार की नीयत बिगड़ गयी और मन में सोचने लगा.. आज जैसा वक़्त दुबारा मिले या न मिले क्यों न मौका सम्भाल लू और बहती गंगा में एक डुबकी लगा ही लू। जिस से सारी उम्र की मौज़ बन जायेगी।

जैसे ही वो खाट के नजदीक गया तो उसकी पैर चाल से विमला की आँख खुल गयी और अपने पास किसी अजनबी को पाकर एक दम कपड़े ठीक करती हड़बड़ाती हुई बोली, ” मा.. म.. मालिक आप कब आये ? सन्देस भेज दिया होता मैं खुद आ जाती। बैठो आपके लिए पानी लेकर आती हूँ ।

ज़मीदार — (खाट के पास पड़ी पुरानी सी कुर्सी पे बैठते हुए) — नही नही, विमला इसकी कोई जरूरत नही है। तुम ये बताओ आज काम पे क्यो नही आई। उस दिन तो बड़ी लम्बी लम्बी डींगे हांक रही थी। 

क्या हुआ हमारे आज के इकरार का ? ज़मीदार ने अपना मालिकाना रौब झड़ते हुए कहा।

विमला — वो कल रात काम से लौटते ही बहुत तेज़ बुखार हो गया था मालिक, इसलिए आज काम पे हाज़िर नही हो सकी। जैसे ही बुखार उतरेगा, ठीक होकर काम पे वापिस आ जाउगी। मेरी वजह से आपको परेशानी हुई उसके लिए दोनों हाथ जोड़कर आपसे माफ़ी चाहती हूँ। कृपया मुझे माफ करदो।

ज़मीदार  — मैंने काम पे हाज़िर होने का नही, पैसो के बारे में पूछा है।

इस बार उसकी वाणी में थोड़ी कठोरता थी।

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विमला — मालिक वो इकरार भी आज पूरा नही हो सकेगा, क्योंके जिस बलबूते पे मैंने वो इकरार किया था। वो अभी पूरा नही हो पायेगा। उसके लिए कम से कम एक महीना ओर लग जायेगा। इस लिए आप वादा खिलाफी की जो सज़ा देना चाहते हो, दे दो। मुझे हर हाल में कबूल है।

ज़मीदार — (उसकी हालत और समय की नज़ाकत को देखते हुए) — खैर ये लो कुछ पैसे दवाई लेकर ठीक हो जाओ और कल दूसरी हवेली पहुँचो। अभी फ़िलहाल जा रहा हूँ। कल सुबह को तेरा वही इंतज़ार करूँगा।

चाहे विमला को आभास हो गया था के मालिक किस नियत से वहां बुला रहा है ? लेकिन समय की नज़ाकत को देखकर सब्र की घूँट पी गयी। क्योंके उसकी जरा सी भी गलती, बड़ा बखेड़ा शुरू कर सकती थी। अगले दिन उसका थोडा बुखार कम हुआ। तो वो दूसरी हवेली पे चली गयी। वह जाकर देखा तो अकेले जमीदार के बिना वहां कोई भी नही था।

विमला को आते देख ज़मीदार की बाछे खिल गयी और अपनी मूंछ को ताव देते हुए मन में खुद से बाते करने लगा, जिस दिन का तू कई महीनो से इंतज़ार कर रहा था, भानु प्रताप सिंह आखिर वो आज आ ही गया । आज तो तुम्हारी हर इच्छा पूरी होने वाली है । जो कल्पना में देखता या सोचता है तू, और चेहरे पे हल्की सी मुस्कान लाकर पास आ रही विमला को देखने लगा। “Haveli Naukrani Ki Chudai”

ज़मीदार — आखिर आ ही गई विमला तू, मुझे तो लगा था के आज भी कल की तरह बुखार की वजह से आ नही पाओगी।

विमला — हम गरीब जरूर है मालिक, लेकिन ज़ुबान के एकदम पक्के है। वो बात अलग है किसी वजह से थोड़ा देरी से आये। आपको बोला था के बुखार उतरते ही आउंगी तो आ गयी। अब बोलो क्यों बुलाया है आपने, क्यूके मेरे हिसाब से इस हवेली का कोई भी काम अधूरा रहता नही है। सब काम पिछले हफ्ते ही तो मैं पूरे करके गयी थी।

ज़मीदार —  विमला, जरूरी नही हवेली के किसी काम ही बुलाया हो तुझे, कोई और भी काम हो सकता है।

चाहे विमला समझ चुकी थी के वो किस और काम के लिए बोल रहा है? लेकिन फेर भी उसके मुंह से सुनना चाहती थी।

विमला — और कोन सा काम मालिक ?

ज़मीदार — वही जो तूने बोला था के यदि दिए समय में आपका क़र्ज़ न चुकता कर पाऊँ तो जो मर्ज़ी दण्ड लगा लेना।

विमला — हाँ बोला था, लेकिन सज़ा तो उस हवेली में भी दे सकते थे न, फेर इतनी दूर बुलाने की जरूरत क्या थी।

ज़मीदार — वहां सब है तेरी मालकिन, छोटे ज़मीदार, घर के नौकर चाकर, सो उनके सामने तुझको सज़ा देना मुझे शोभा नही देता था। इस लिए यहां अकेले में तुझको बुलाया है। यहां तुझे जी भर के सज़ा दूंगा ।

इस बार उसकी बोली में दोहरापन था।

विमला — चलो ठीक है, बताओ क्या सज़ा है मेरी ??

ज़मीदार — किस तरह की सज़ा चाहते हो बोलो ?

विमला — बोलना क्या है, मालिक जो सज़ा है बोलदो, मेरा ज़ुर्म जिस सज़ा के काबिल है, उसी तरह की सज़ा दे दो।

ज़मीदार — तुमने वादा खिलाफी तो की है तो इसकी सज़ा ये है के तुम मेरे पूरे बदन की तेल लगाकर मालिश करोगे और जब तक मैं न चाहू घर नही जाओगी।

विमला — हैँ…ये कैसी सज़ा है। मैंने तो सोचा था के पूरा दिन काम काज पे लगाए रखोगे या पूरा दिन धूप पे खड़ा करके रखोगे। लेकिन फेर भी वादे के मुताबक मुझे आपकी ये सज़ा भी मंज़ूर है।

ज़मीदार — तू बहुत नाज़ुक सी चीज़ है विमला, तेरा मालिक इतना भी बेरहम नही है के फूल सी नाज़ुक चीज़ को धुप में खड़ा करके मुरझाने के लिए छोड़ देगा।

अपनी झूठी तारीफ सुनकर भी विमला को अच्छा लगा।

ज़मीदार — चलो विमला, अब बाते बहुत हो गयी। बाहर वाला दरवाजा बंद करके, मेरे पीछे मेरे बेडरूम में आओ, वहां चलकर तुझे सज़ा दूंगा। विमला ड़रती ड़रती मालिक के पीछे चली गयी। वहा पहुंचकर मालिक ने पंखा चालू कर दिया। परन्तु डर के मारे विमला पसीने से भीग रही थी।
बाते करते करते मालिक ने अकेला अंडरवियर छोड़कर सारे कपड़े उतारकर दीवार पे लगी कुण्डी पे टांग दिए और खुद उल्टा होकर बेड पे लेट गया।

ज़मीदार — विमला बेड की दराज़ में से तेल की शीशी निकाल लाओ और मेरे पूरे बदन पे लगा दो, पूरा बदन दर्द से टूट रहा है।

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विमला बेचारी हुक्म में बन्धी, जैसा वो बोलता गया वैसे करती गयी। विमला तेल की शीशी लेकर मालिक के पैरों की तरफ बैठ गयी और हथेली पे ढेर सारा तेल उड़ेलकर उसकी पीठ पर मलने लगी। मालिक की तो जैसै लाटरी लग गयी।

वो आँख बन्द करके लेटा विमला के नरम नरम हाथो की मालिश का मज़ा लेने लगा और उसके कोमल स्पर्श मात्र से ही काम चढ़ने की वजह से उसका लण्ड अंडरवीयर में ही फड़फड़ाने लगा। थोड़ी देर बाद बोला,” विमला तुम बहुत बढ़िया मालिश करती हो। ऐसा करो थोडा तेल मेरी टांगो पर भी लगा दो। “Haveli Naukrani Ki Chudai”

विमला हुक्म की पालना करती मालिक की टाँगो की मालिश करने लगी। करीब 10 मिनट बाद वो सीधा होता हुआ बोला,’  अब लगते हाथ आगे की भी मालिश करदो विमला। जैसे ही मालिक उल्टा लेटा सीधा हुआ उसका मोटा लण्ड अंडरवियर में फ़ड़फ़ड़ाता हुआ विमला को दिख गया।

एक पल के लिये वो देखती ही रह गयी, जैसे ही मालिक की नज़र उस पर पड़ी वो शर्मा गयी और मुह दूसरी और करके मालिक की टाँगो की तेल से मालिश करने लगी। जैसे ही वो आँख बचाकर मालिक के मोटे लण्ड की तरफ देखती तो मालिक चलाकी से उसे झटके से हिला देता।

वो फेर शरमाकर मुह फेर लेती। ऐसे ही जब दूसरी तरफ मुह किये जब विमला मालिक की मालिश कर रही थी तो गलती से उसका हाथ मालिक के लण्ड से लग गया। उसने झटके से हाथ पीछे खींच लिया। ये सब मालिक भी देख रहा था। लण्ड के हाथ से छूते ही, विमला की काम अग्नि भड़क उठी। उसने अपनी चूत में गीलापन महसूस किया।

ज़मीदार — (कामुक मुस्कान दिए) क्या हुआ विमला ?

विमला — कुछ नही मालिक।

और वो अपना मुह दूसरी ओर करके मन में सोचने लगी के कैसी अजीब हालात में फंस गयी हूँ। मुझे क्या हो रहा है। अंडरवियर के अंदर से ही उसके साइज़ का अंदाज़ा लगाया जा सकता था। जो के लगभग 8 इंच लम्बा और 3 इच मोटा होगा।  “Haveli Naukrani Ki Chudai”

आख़र आग से पास घी कब तक ठोस रहता। काफी समय से खुद पे नियंत्रण बनाये बैठी विमला का सब्र अब जवाब देने लगा। जिस लण्ड को देखकर वो बार बार नज़र चुरा रही थी। अब टिकटिकी लगाकर उसे ही देख रही थी। अब काम वेग उसकी आँखों से झलक रहा था। काम के अधीन होकर वो बहक गई और

मन में सोचने लगी के क्यों न इसका स्वाद चख लिया जाये। वैसे भी मालिक भी तो यही चाहता है। हो सकता है मेरे ऐसा करने से मुझे क़र्ज़ से कोई थोड़ी निजात मिल जाये। इसी उलझन तानी में सोचते हुऐ बोली,” मालिक आपका अंडरवियर तेल लगने से खराब हो जायेगा। कृपया इसे भी उतार दे। वैसे भी हम दोनों के इलावा यहाँ तीसरा कौन है। जो आपको इस हालत में देख लेगा। मैं बाहर जाकर किसी को भी बताउंगी नही के मैंने आपको पूरा नंगा देखा है।

उसने अपने मन की बात एक लहजे में आम बात की तरह कह दी। उसकी बात सुनकर मालिक को तो जैसे हीरो का खज़ाना मिल गया हो। वो मन में सोचने लगा साली मुझे मुर्ख बना रही है। खुद मेरे फेंके जाल में फंस गयी है। खुद का दिल चुदवाने का हो रहा है। मेरे मन की बाते खुद कह रही है। चलो जो भी है कल को कोई बात बिगड़ी भी तो ये तो न कहेगी के आपने जोर ज़बरदस्ती से अपना लण्ड मेरे हाथ में दिया था।

ज़मीदार — जब इतना कर दिया विमला, तो ये छोटा सा काम भी अपने कोमल हाथो से करदो।

विमला (मन में खुश होते) — जो हुक्म मालिक ।

और विमला ने मालिक के अंडरवियर को दोनों हाथो से पकड़ कर टाँगो से बाहर निकल दिया। मालिक का मोटा लण्ड नए स्प्रिंग की तरह झटके खा रहा था, जिसे देखकर विमला की आंखे हैरानी से खुली की खुली रह गयी और मुह पे हाथ रखकर बोली, रे दइया इतना बड़ा, जैसे किसी घोड़े का काला लण्ड हो ।

ज़मीदार — क्यों विमला पसन्द आया मेरा हथियार।

“हथियार” शब्द सुनकर विमला के मुंह से हंसी निकल गयी और बोली आप भी न मालिक क्या क्या नाम रखते हो?

मालिक के लण्ड मेे पता नही ऐसी कोनसी शक्ति थी जो उसको अपनी और खींच रही थी। वो चाहकर भी खुद को रोक भी नही पा रही थी।

ज़मीदार — ऐसा करो विमला अब इस पे भी गुनगुने तेल की मालिश करदो।

मालिक का हुक्म पाते ही वो मालिक के लण्ड पे झपटी, पूरी ज़िन्दगी में आज पहली बार इतना लम्बा, मोटा लण्ड उसने अपने हाथ में लिया था। जो उसके पति के लण्ड से तीन गुना मोटा और लम्बा था। कितना ही चिर उसे टिकटिकी लगाकर देखती रही और बोली,”मालिक एक बात कहे यदि आप बुरा न माने तो । “Haveli Naukrani Ki Chudai”

ज़मीदार — हाँ विमला बोलो, क्या कहना चाहती हो। खुलकर बोलो मैं बुरा नही मानूँगा।

विमला — हमारी मालिकन बहुत भाग्यशाली है।

ज़मीदार — वो कैसे ??

विमला — उसके नसीब में इतना तगड़ा मोटा लण्ड जो है। जो हर रात उसकी सेवा में हाज़िर होता है।

विमला की बात सुनकर मलिक की हंसी निकल गयी और कहने लगा ,” हाँ विमला ये तो है लेकिन अब पहले वाली बात तेरी मालकिन में रही नही। जब नई नई ब्याह कर आई थी । तो खूब उछल उछल कर इसपे बैठकर चुदती थी। लेकिन धीरे धीरे उसका इसके प्रति प्यार घटता गया और रहती कसर मेरे बेटे ने पूरी करदी।

विमला — (लण्ड के सुपाड़े पे तेल लगाते हुए ) वो कैसे मालिक ?

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ज़मीदार — जब से वो पैदा हुआ है। उसकी माँ का मोह उसमे चला गया है। पहले जहां एक हफ्ते में हम 5 दिन चुदाई करते थे। अब वही महीने में एक बार, वो भी काफी तरले मिन्नतों के बाद करती है। इस लिए जब से तुम हमारे घर पे काम के लिए आई हो। तुम्हे देखकर अपनी कल्पना में रोजाना चोदता हूँ।

विमला उसकी कहानी सुनकर आज पहली बार मालिक सही और खुद को गलत महसूस कर रही थी। मालिक के मुह से ऐसी बात सुनकर विमला शर्मा गयी और बोली क्या मैं आपको इतनी सुंदर लगती हूँ। जो आप मुझे अपनी कलपना में रोज़ाना चोदते हो। विमला का हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींचते हुए मालिक बोले और नही तो क्या।

तुम क्या जानो तुम्हे लेकर मैंने कितने सपने संजोये है। बस एक बार मेरा ये काम करदो, जो मांगोगी लेकर दूंगा। मालिक की इस हरकत ने उसकी थोड़ी रहती शरम भी निकल दी। वो एक फार्मेल्टी वाली उपरले मन से बोली छोडो मालिक मैं ऐसी वैसी औरत नही हूँ। एक पतीव्रता स्त्री हूँ। कोई देख लेगा छोडो भी न मालिक।

ज़मीदार — हट साली पहले तो लण्ड को एक घण्टे से पकड़ कर हिला रही है। अब नाटक करती है।

मालिक ने उसे अपने साथ लिटाकर उसके ऊपर खुद लेट गया। विमला ने  खूब कोशिश की के वो उसके शिकंजे से निकल जाये। परन्तु एक हटे कट्टे जमीदार की पकड़ से निकलना मुश्किल काम था।

विमला — मालिक मुझे ये काम नही करना, मुझे घर जाने दो मेरा बेटा भूखा होगा। उसे जाकर दूध पिलाना है। जो भी काम रह गया कल आकर पूरा कर दूगी। आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ मुझे जाने दो।

लेकिन मालिक कहाँ मानने वाला था। उसने इतनी मज़बूती से पकड़ा के के विमला की हिम्मत जवाब दे गयी और उसने आत्म समर्पण कर दिया। अब मालिक का लण्ड उसके पेट और जाघो पे चुभ रहा था। मालिक ने उसके होंठो से होंठ मिलाकर चूमना शुरू किया। मरती क्या न करती वाली कहावत की तरह उसे मालिक का साथ देना पड़ा। “Haveli Naukrani Ki Chudai”

क्योंके यदि वो विरोधता करती तो मालिक न जाने कब तक उसके साथ धक्का करता रहता। सो उसने साथ देने में ही भलाई समझी। करीब 10 मिनट होंठो का रसपान करने से अब काम का नशा विमला पे चढ़ने लगा। वो आँखे बंद किए इस चढ़ रही खुमारी का आनंद ले रही थी के मालिक ने उसे उठाकर कपड़े उतारने को कहा।

विमला ने वैसा ही किया। विमला का गोरा चिट्टा बदन देखकर मालिक की आँखे खुली की खुली रह गयी। वो उसके उरोज़ों पे हाथ फेरता हुआ बोला,” वाह ! खुदा ने क्या बदन तराशा है। ऐसा बदन तो मेरी बीवी का भी नही है। काश विमला तू मेरी बीवी होती। मैं रोज़ इस संगमरमरी बदन का रसपान करता।

विमला — असल ज़िन्दगी में न सही मालिक, कुछ पल के लिए ही मानलो के हम दोनों पति पत्नि ही। करलो अपने मन की जो भी रीझ अधूरी है।

विमला की ये बात सुनकर मालिक उसके उरोज़ों को मुंह में कर चूसने लगा। जिनमे से थोडा थोडा मीठा दूध भी बहने लगा।

ज़मीदार — तुम्हारा दूध बहुत स्वदिष्ट है  विमला, दिल चाहता है पीता ही जाऊ।

विमला (शरारती अंदाज़ में) नही मालिक सारा दूध आप पी गए तो मेरा बेटा क्या पियेगा।

दोनो हंसने लगे और अपने काम में व्यस्त हो गए। अब मालिक विमला के ऊपर से उठा और खुद बेड पे लेट गया और विमला से बोला,” विमला तुम ऊपर आओ और अपने पसन्दीदा खिलोने को खुश करो। फेर ये तुम्हे खुश करेगा।  विमला हुक्म की पालना करती हुई नीचे से उठ कर उसकी टाँगो के बीच में आकर बैठ गयी और तेल से सने लण्ड को मुठी में भींच कर उसकी चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी। “Haveli Naukrani Ki Chudai”

मालिक — विमला इसे थोडा होंठो से भी प्यार करो। जितना इसे खुश करोगी। उस से दोगुनी ख़ुशी तुम्हे ये देगा।

विमला न चाहते हुए भी लण्ड की चमड़ी निचे करके उसके गुलाबी सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। उसकी जीभ का स्पर्श पाते ही मालिक जैसे 7वे आसमान की सैर करने लगा। वो आँखे बन्द किये इस सुनहरी पल का आनंद ले रहा था।

इधर विमला भी एक माहिर वेश्या की तरह उसका लण्ड मुंह में लिए चूस रही थी। अब 5-7 मिनट लण्ड चूसते रहने की वजह से विमला का मुंह दुखने लगा, ऊपर से उसके लण्ड की नसे फूलने की वजह से सुपाड़ा भी फूल चूका था और उसके मुंह में घुसने में दिक्कत हो रही थी।

ज़मीदार — विमला बस करो वरना तेरे मुंह में ही मेरा पूरा माल निकल जायेगा। तू ऐसे कर इसपे बैठकर उठक बैठक कर। तब तक तेरे मुंह को थोडा आराम भी मिल जायेगा।

विमला को उसकी बात जच गयी और वो उठकर मालिक के थूक और तेल से सने लण्ड पे अपनी चूत सेट करके बैठ गयी। लण्ड के आकार के हिसाब से चूत का साइज़ बहुत छोटा था। लेकिन फेर भी पता नही कैसे हिलने जुलने से आधे से ज्यादा लण्ड विमला की चूत ने निगल लिया था। अब वो ऊपर बैठी उठक बैठक कर रही थी।

जिस से उसके गोरे चिट्टे दूध से भरे उरोज़ हिल रहे थे। कभी मालिक उनको पकड़ कर अपना सर ऊँचा करके बार बार उनका दूध पी रहा था। तो कभी विमला की कमर पकड़ कर उसकी उठक बैठक करने में मदद कर रहा था। काफी समय हिलने जुलने ने अब विमला थक कर चूर हो गयी ।

विमला — मालिक अब मुझसे और हिला नही जा रहा। आप ऊपर आ जाओ।

मालिक ने उसकी मज़बूरी देखते हुए लण्ड चूत में डाले ही बड़ी फुर्ती से विमला को अपने निचे और खुद ऊपर आ गया। उसका ये अंदाज़ देखकर विमला हैरान रह गयी और अपनी टाँगे मालिक के कन्धों पे रख कर उनसे चुदवाने लगी। अभी 10 मिनट ही हुए होंगे पोजिशन बदले को के विमला बोली,” मालिक और तेज़ करो, और तेज़ज्ज्जज्ज.. “Haveli Naukrani Ki Chudai”

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मालिक समझ गया के इसका काम होने वाला है। उससे जितना भी ज़ोर लगा उस स्पीड से अपने हिलने की स्पीड बढ़ा दी, करीब 2 मिनट बाद एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लेकर विमला शांत हो गयी। लेकिन मालिक का अभी भी काम नही हुआ था। उसने अपना काम जारी रखा और थोड़े समय बाद ही वो भी उसके ऊपर ढेरी हो गया। उसने अपने गर्म लावे से विमला की चूत भरदी। अब दोनों बेजान शरीरो की तरह एक दूसरे से सटे पड़े थे। जब दोनों की सांसे कंट्रोल ने हुई तो एक दूसरे को देखकर हंसने लगे।

ज़मीदार — तो कहो कैसी लगी, मेरी अनोखी सज़ा तुझे ।

विमला (शरमाते हुए) — यदि ऐसी सज़ा बार बार मिलेगी तो मैं बार बार वादा खिलाफी के लिए तैयार हूँ।

और एक ज़ोरदार हंसी से फिर एक दूसरे को लिपट गए।

उसके बाद एक बार फेर मालिक ने उसको अलग पोज़ में करीब चोदा। जिससे विमला के चेहरे पे सन्तुष्टी के भाव साफ दिखायी दे रहे थे। उस दिन के बाद जब भी उनको चुदाई की भूख लगती, दूसरी हवेली पे    पहुंचकर अपनी जिज्ञासा शांत कर लेते। करीब एक साल बाद विमला ने मालिक के एक बेटे को जन्म दिया। जिसका पूरा खर्च मालिक ने ये कहकर उठाया के हमारे घर पे काम करती थी। इसके लिये इतना तो कर ही सकते है।

दोस्तों आपको ये Haveli Naukrani Ki Chudai की कहानी मस्त लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे…………….

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Filed Under: Hindi Sex Story Antarvasna Tagged With: अन्तर्वासना, चूत का पानी, नौकरानी की चूत, फ्री सेक्स कहानी, मालिश सेक्स, हवेली में सेक्स, हिंदी देसी चुदाई

Reader Interactions

Comments

  1. Sahil Kumar says

    December 9, 2021 at 10:07 am

    Hey grils bhabhi jo Mera sath enjoy Karna chati h to muje what’s app kre 7590091474

  2. Rohit says

    December 9, 2021 at 10:14 pm

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  3. Tapen says

    December 10, 2021 at 6:58 pm

    Nice stroy

  4. Tapen says

    December 11, 2021 at 8:27 am

    Mari ghar ma ak naukrani raha ta ha kasa chadu us ka

  5. Black boy says

    December 11, 2021 at 8:35 am

    Mari bahan sexy ha kasa chadu

  6. Ajit Kumar says

    December 15, 2021 at 1:13 am

    Mere family ki jisa story
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