Bihar Ki Palangtod Chudai Se Lund Shant Hua
मैं जब शहर नौकरी करने के लिए गया तो वहां पर मेरी एक कंपनी में नौकरी लग गई, मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था इसलिए मैंने वहीं से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की मैंने अपने 12वीं के बाद की पढ़ाई एक कॉलेज से कि जहां पर कि सिर्फ एग्जाम देने के लिए जाना पड़ता था मेरा ग्रेजुएशन भी पूरा हो चुका था और उसके बाद मेरी एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी लग गई अब धीरे-धीरे मेरी नौकरी में मेरा प्रमोशन होता रहा और मेरी तनख्वाह में भी बढ़ोतरी होती गई अब मेरे पास महीने का इतना पैसा आ जाता कि मैं एक घर लेने की सोचने लगा और फिर मैंने एक घर ले लिया, जब मैंने घर लिया तो उस वक्त मैंने अपने माता पिता को भी अपने पास बुला लिया और वह मेंरे साथ ही रहने लगे। Bihar Ki Palangtod Chudai Se Lund Shant Hua.
कुछ वर्षों तक तो मैं काम करता रहा लेकिन मेरी शादी की उम्र भी होने लगी थी परंतु मैं काफी सालों से माता पिता से कहता रहा कि मुझे गांव जाना है वह कहते कि तुम गांव जाकर क्या करोगे वहां की स्थिति वैसी ही है वहां जाकर तुम क्या करोगे लेकिन मैंने भी सोचा कि मुझे एक बार गांव जाना चाहिए। एक दिन मैं अपने गांव चला गया मेरे साथ मेरे माता-पिता भी आ गए वह गांव जाना नहीं चाहते थे क्योंकि उन्होंने भी गांव में हमेशा ही तकलीफ देखी थी उन्हें कभी भी गांव में ऐसा नहीं लगा के वह अपना जीवन जी पाए लेकिन वह मेरे साथ जब गांव में चले आए तो उसके कुछ समय बाद मैंने उनसे पूछा कि पिताजी क्या हमारी खेती कोई करता है? वह कहने लगे नहीं बेटा अब तो हमारे खेत बंजर पड़े हैं लेकिन मुझे लगा कि मुझे अपने खेतों में काम करना चाहिए, मैंने उस दिन ट्रैक्टर मंगवा लिया और अपने खेतों में उस दिन ट्रैक्टर चलवा दिया जिससे कि खेतों की मिट्टी नम हो गई थी और मैंने वहां पर फसल भी बोई।
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मैंने अपने माता पिता से कहा कि मैं कुछ समय गांव में ही रहना चाहता हूं और मैं जिस कंपनी में काम करता था मैंने वहां से फिलहाल रिजाइन दे दिया है वह कहने लगे बेटा तुम्हारा दिमाग तो सही है तुम यहां का क्या करोगे तुम्हें तो पता है कि गांव की स्थिति कैसी है मैंने उन्हें कहा नहीं पिता जी मैं कुछ दिन गांव में रहना चाहता हूं और मेरी जिद के आगे वह भी कुछ बोल ना सके उसके बाद गांव में ही मैं कुछ समय खेती करने लगा काफी समय बाद अपने गांव लौट कर मुझे बहुत अच्छा लगा था और जब मैं अपने गांव के पुराने दोस्तों को मिला तो वह वैसे ही थे उनकी स्थिति में कोई भी बदलाव नहीं आया था.
वह जब मुझे मिले तो वह कहने लगे तुम तो वह शहर जाकर बड़े आदमी बन चुके हैं तुम काफी सालों बाद गांव आए हो मैंने कहा हां आखिरकार मैं गांव में करता भी क्या लेकिन अब मुझे लगा कि मुझे कुछ समय के लिए गांव में रहना चाहिए हमारी खेती भी बंजर पड़ी थी और उस बंजर खेती को मैं दोबारा से उपजाऊ बनाना चाहता हूं वह कहने लगे चलो यह तो तुमने कम से कम अच्छा सोचा। मैं किसी भी सूरत में अपने गांव को नहीं छोड़ना चाहता था लेकिन मुझे यह डर भी सता रहा था कि जब हम लोग भी शहर लौट जाएंगे तो खेतों में दोबारा से वही स्थिति पैदा हो जाएगी लेकिन शायद उस चीज का भी जवाब मुझे कुछ समय बाद मिलने ही वाला था मैं जब अपने गांव से अपने ही पास के दूसरे गांव में गया. “Bihar Ki Palangtod Chudai”
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तो वहां पर मुझे एक लड़की दिखी उसका नाम माला है वह मुझसे शर्मा रही थी। मैंने उसे कहा कि तुम इतना क्यों शर्मा रही हो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत शर्म आ रही है मैंने उसे कहा मैं तो तुमसे सिर्फ पूछ रहा हूं, मैंने उससे कुछ देर बात की और उसके बाद मैं वापस अपने गांव चला आया जब मैं वापस अपने गांव लौटा तो मैंने अपने माता पिता को माला के बारे में बताया वह कहने लगे कि बेटा क्या तुम्हें माला पसंद आई है मैंने उन्हें कहा जी पिताजी मुझे वह बहुत पसंद है यदि आप उसके घर वालों से मेरी शादी की बात छेड़ दें तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। “Bihar Ki Palangtod Chudai”
उन्होंने मेरी शादी की बात माला के पिताजी से छेड़ दी क्योंकि मेरे पास अब सब कुछ था इसलिए उन्हें भी मुझसे माला की शादी करवाने में कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन समस्या यह थी कि माला की बड़ी बहन की शादी नहीं हुई थी और वह चाहते थे कि पहले उसकी शादी हो जाए उसके बाद ही वह माला की शादी मुझसे करवा पाते इसलिए उन्होंने थोड़ा समय मांगा और माला के पिताजी ने कहा कि हमें थोड़ा समय आप दे दीजिए कुछ समय बाद माला की बड़ी दीदी की शादी भी हो जाएगी उसके बाद हम राजेश और माला की शादी भी करवा देंगे। कुछ समय बाद ही माला की बड़ी दीदी की भी शादी हो गई उसके बाद अब मेरी शादी की बारी थी मैं माला से हर रोज मिला करता, हमारे गांव से उसके गांव जाने के लिए कोई भी मोटर मार्ग नहीं था इसलिए मुझे पैदल ही जाना पड़ता था मैं माला से मिलने पैदल ही जाया करता था।
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एक दिन मैं माला से मिलने के लिए जा रहा था तभी जिस रास्ते से मैं जाता था वहां से एक व्यक्ति गुजर रहे थे वह मुझसे पूछने लगे बेटा तुम कहां जा रहे हो मैंने उन्हें बताया चाचा मैं तो पास के ही गांव में जा रहा हूं उन्होंने मुझसे पूछा तुम कहां रहते हो मैंने उन्हें अपने गांव का नाम बताया अपने पिताजी का नाम बताया वह कहने लगे अरे तुम्हारे पिताजी तो मेरे पुराने दोस्त हैं मैंने कहा तो फिर आप घर आएगा वह कहने लगे बेटा क्यों नहीं मैं जरूर तुम्हारे पिता से मिलने घर पर आऊंगा मैंने सुना है अब तुम शहर में रहते हो और वहीं पर तुम बस चुके हो, मैंने उनसे कहा जी चाचा जी मैं अब वहीं पर रहने लगा हूं लेकिन कुछ समय से मैं घर पर ही रह रहा हूं वह कहने लगे बेटा मैं तुम्हारे पिता से मिलने जरूर आऊंगा। उसके बाद वह वहां से चले गए मैं भी पैदल पैदल माला से मिलने के लिए चला गया. “Bihar Ki Palangtod Chudai”
मैं जैसे ही माला के घर पहुंचा तो माला पानी लेने के लिए गई हुई थी जब वह वापस लौटी तो मैंने माला से कहा आज मुझे रास्ते में एक व्यक्ति मिले थे और वह मेरे पिता जी के दोस्त निकले। माला और मैं उस दिन साथ में वापिस मेरे गांव की तरफ आने लगे तो वह चाचा दोबारा से हमें देखे और मुझे देख कर मुस्कुराने लगे लेकिन उन्होंने मुझसे बात नहीं की और माला और मैं आगे आगे चलते रहे हम लोग काफी आगे तक आ चुके थे और बीच रास्ते में हम दोनों साथ में बैठ कर बात करने लगे हम दोनों एक दूसरे से बात कर के बहुत खुश थे मैंने माला को यह बात बता दी थी कि शादी के बाद तुम्हें कुछ समय घर पर रहना पड़ेगा क्योंकि मेरा खेती की तरफ रुझान होने लगा है इसलिए तुम्हें यह सब देखना पड़ेगा, वह कहने लगी क्यों नहीं। मैं माला की बात से बहुत खुश था माला और मैं वहीं बैठे हुए ,थे मैंने माला की हाथ को अपने हाथों में ले लिया और उसे कहने लगा आज तुम्हें देखकर ना जाने मुझे क्या हो रहा है। माला कहने लगी तुम मुझसे यह सब बातें मत किया करो माला शर्माने लगी लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे किस कर लिया। मैं उसे लेकर एक सुनसान जगह पर चला गया वहां पर काफी घनी झाड़ियां भी थी घनी झाड़ियों के बीच में मैंने जब माला को किस करना शुरू किया तो वह भी शरमाते हुए अपने कपड़ों को खोलने लगी।
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उसने जैसे ही अपने कपड़ों को खोला तो मेरे अंदर से गर्मी पैदा होने लगी, मैंने उसकी चिकनी चूत को अपने जीभ में लेकर काफी देर तक चाटा उसे भी बहुत मजा आने लगा। उसकी चूत को जब मैं अच्छे से चाटता तो उसकी चूत से गीलापन बाहर निकलता, मैंने जैसे ही अपने खड़े लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाया तो उसकी सील टूट गई है। उसकी सील टूटते ही उसकी चूत से खून आने लगा वह अपने मुंह से गर्म सांस लेने लगी। उसकी सिसकियों से मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता, मेरे अंदर और भी ज्यादा जोश बढ जाता। मैं उसे धक्के दे रहा था उसकी चूत के बुरे हाल हो जाते लेकिन वह भी मेरा पूरा साथ देती और अपने पैरों को चौड़ा कर लेती ताकि मेरा लंड आसानी से उसकी योनि के अंदर प्रवेश हो सके।
मेरा लंड उसकी योनि के अंदर आसानी से जा रहा था उसकी योनि से भी लगातार खून का प्रवाह हो रहा था, उसकी योनि से खून निकल ज्यादा ही बह गया था उसे भी बहुत ज्यादा दर्द होने लगा, जैसे ही उसकी योनि के अंदर मेरा वीर्य गिरा तो मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा। वह बहुत खुश हो गई उसने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और कहने लगी राजेश यार मैं तो शादी से पहले यह सब नहीं करना चाहती थी। आपने आज मेरे बुरे हाल कर दिए ना जाना शादी के बाद क्या होगा।
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मैंने उसे कहा कुछ भी नहीं होगा सब कुछ तुम्हें ठीक लगेगा और तुम्हें बहुत मजा भी आएगा। माला बहुत ज्यादा खुश थी मैंने माला को उसके घर छोड़ दिया और वहां से मैं अपने घर चला आया। मेरी शादी माला के साथ हो गई सुहागरात के दिन मैने पलंग तोड़ चुदाई की और उसकी चूत के बुरे हाल कर दिए, उसे भी मेरे साथ में सेक्स करने में बड़ा मजा आया। मै शहर आ चुका हूं माला अब भी गांव में है वह मेरे बूढ़े माता-पिता के साथ खेती का काम करती है, मैं जब भी गांव जाता हूं तो माला को नंगा कर के बहुत अच्छे से चोदता हूं। “Bihar Ki Palangtod Chudai”